तेजी से फैलते सेप्सिस संक्रमण का खतरा अब थोड़ा कम हो जाएगा। हाल ही में आईआईटी दिल्‍ली के रिसर्चर्स ने इसकी एक काफी सस्‍ती किट तैयार की है। जिससे 50 रुपये की इस किट से सिर्फ 5 मिनट में इस बीमारी का पता लग जाएगा। ऐसे में इस प्रोजेक्ट को हाल ही में राष्ट्रपति की ओर से गांधियन यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अवार्ड 2016 से सम्मानित किया गया।


कभी भी कर सकते जांच
जी हां हाल ही में दिल्ली आईआईटी में रिसर्चर्स ने आज लोगों में तेजी से फैलते सेप्सिस संक्रमण से बचने का एक नायाब और सस्ता तरीका निकाला है। इसके लिए रिसर्चर्स ने एक ऐसी किट तैयार की है। जिसे एक आम आदमी भी आसानी से खरीद सकता है। रिसर्चर्स द्वारा तैयार की गई यह किट सिर्फ 50 रुपये की है। रैपिड इंडोटॉक्सिन इनट्रैपमेट एंड डिटेक्शन ऑन सरफेस-इंजीनियर्ड ग्लास सब्सट्रेट्स देश का पहला सेप्सिस जांच किट है। इस संबंध में आईआईटी की केमिकल डिर्पाटमेंट की प्रोफेसर डॉ. शालिनी गुप्ता का कहना है कि आज सेप्सिस संक्रमित हो चुके मरीजों की मृत्यु दर 50 से 60 फीसद तक पहुंच चुकी है। इसकी चपेट में बच्चे अधिक हैं। हर साल करीब 6 मिलियन नवजता शिशुओं की मौत इस सेप्सिस संक्रमण से ही होती है। सेप्सिस होने पर बुखार, दिल की धड़कन व सांस की गति का बढ़ना, कमजोरी, बेहोशी, शरीर पर चकते आना आदि लक्षण दिखते हैं। इससे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता काफी घट जाती है। काफी कम समय लगेगा


जिससे अब इस पर काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है क्योंकि इसकी जांच अब मंहगी नहीं बल्कि सस्ती हो गई है। अब तक इसकी जांच में सालाना लाखों रुपये खर्च होते थे। हालांकि इन जांच किट के महंगे होने के पीछे का यह भी कारण है कि ये यूरोपियन देश स्विट्जरलैंड व स्वीडन से देश में मंगाई जा रही थी। ऐसे में रिसर्चर्स छात्रों ने इस दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इस किट से अब थोड़े-थोड़े अंतराल पर सेप्सिस की जांच हो सकेगी। जिससे संक्रमण फैलने के पूर्व ही उसे रोका जा सकेगा। ऐसे में इस किट को अभी हाल ही में 13 मार्च को इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रपति भवन मे आयोजित हुए फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन में प्रदर्शित किया गया था। जिसमें इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रपति की ओर से गांधियन यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अवार्ड 2016 से सम्मानित किया करते हुए प्रमाणपत्र, मोमेटो और 15 लाख रुपये दिए गए।

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Posted By: Shweta Mishra