जब भी नज्मों की बात होती है तो रामनाथ सिंह उर्फ अदम गोंडवी का नाम सबसे पहले लिया जाता है है। 22 अक्तूबर 1947 को गोंडा में जन्में अदम गोंडवी भले ही आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अपनी नज्मों कविताओं से होने का अहसास कराते हैं। इनकी नज्में राजनीति से लेकर सामाजिक व्यवस्था पर करारा प्रहार करती हैं। आइएइस खास दिन पर पढ़ें अदम गोंडवी की नज्में...
विधायक निवास का हाल बयां करती हैं ये लाइनें...
इनमें आजादी के जश्न को मनाने की कशमश...
ये पक्तियां जनता की ताकत का अहसास कराती हैं...
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Posted By: Shweta Mishra