सोची ओलंपिक में 'तिरंगे के बिना' भारतीय खिलाड़ी
सोची में अपनी स्पर्धा ल्यूज़ की तैयारियों में लगे शिवा केशवन ने बीबीसी को मेल के ज़रिए बताया, ''मेरी हार्दिक इच्छा भारतीय तिरंगे के साथ ओलंपिक में शिरकत करने की थी, ऐसा नहीं कर सका. अलबत्ता अपने इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने की कोशिश करूंगा. उम्मीद है कि कामयाब होकर लौटूंगा.''ओलंपिक में पहली बार भारतीय टीम के हाथों में तिरंगा नहीं होगा. उन्हें ओलंपिक के झंडे तले ही मार्चपास्ट में हिस्सा लेना होगा. वह बतौर स्वतंत्र एथलीट इस ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं.बगैर तिरंगे के ओलंपिक में उतरना क्या होता है ये कोई खिलाड़ी ही महसूस कर सकता है. पूर्व ओलंपियनों और खेल की जानी-मानी हस्तियों ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.'अफ़सोसजनक'
पूर्व ओलंपियन और हॉकी टीम के कप्तान रहे परगट सिंह भी इसे अफ़सोसजनक कहते हैं. उन्होंने कहा, ''हमारी टीम राष्ट्रीय झंडे के साथ शीतकालीन ओलंपिक में शिरकत नहीं कर रही. मैं समझ सकता हूं कि ऐसी स्थिति में हमारे खिलाड़ी कितना खराब महसूस कर रहे होंगे.''
ओलंपियन तीरंदाज संजीव सिंह ने कहा, ''ये बहुत उदास करने वाली बात है. देश के झंडे तले ओलंपिक में हिस्सा लेना किसी भी खिलाड़ी के लिए बहुत सम्मान की बात होती है. इतने बड़े मंच पर हर खिलाड़ी चाहता है कि दुनिया देखे कि वह अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहा है.''भारतीय टेबल टेनिस संघ के सचिव धनराज चौधरी ने कहा कि अच्छी ख़बर मिलने वाली है. नौ फरवरी को आईओए के चुनाव के बाद नए संघ का गठन हो जाएगा. फिर उम्मीद है कि आईओसी से भारत को शीघ्र मान्यता मिल जाएगी.