1885 में आज ही के दिन हुई थी कांग्रेस पार्टी की स्थापना
कानपुर। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए आज का दिन बेहद खास है क्योंकि इसी दिन पार्टी की नींव रखी गई थी। पार्टी की वेबसाइट के मुताबिक, 28 दिसंबर 1885 को, 72 समाज सुधारक, पत्रकार और वकील बॉम्बे (अब मुंबई) के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में भारतीय राष्ट्रीय संघ के पहले सत्र के लिए जमा हुए थे। जिसे बदलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नाम दिया गया।
एओ ह्यूम की भूमिका
भारतीय सिविल सेवा के पूर्व अधिकारी एओ ह्यूम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बॉम्बे में आयोजित पहले सत्र के संयोजकों में से एक थे। इनसाक्लोपीडिया ब्रिटैनिका के अनुसार, 1857-58 में भारत के पहले स्वाधीनता संग्राम के दौरान वह इटावा में मजिस्ट्रेट रहे थे। 1882 में रिटायरमेंट के बाद उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में रुचि लेनी शुरू की। वह पहले 22 वर्षों तक कांग्रेस के सचिव रहे।
जब महात्मा गांधी ने संभाली कमान
शुरुआती दशकों में कांग्रेस की भूमिका सुधार प्रस्तावों तक सीमित रही। 20वीं सदी की शुरुआत में पार्टी के अंदर ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ व स्वदेशी के समर्थन में आवाज मुखर होने लगी। भारतीयों से आयातित ब्रिटिश उत्पादों के बहिष्कार व भारतीय उत्पादों को अपनाने की अपील की जाने लगी। 1917 आते-आते समूह के अंदर उग्र विचारधारा की मानी जाने वाली बाल गंगाधर तिलक व एनी बेसेंट की होम रूल विंग का असर काफी बढ़ चुका था। 1920 और 30 के दशक में कांग्रेस ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में अहिंसक असहयोग आंदोलन का रास्ता अपनाया।
आजादी के बाद लंबा शासन
आजादी के आंदोलन से जुड़े लगभग सभी बड़े नेताओं की राजनीतिक जड़ें कांग्रेस में रही हैं। इनमें देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू व देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रमुख हैं। स्वतंत्रता के बाद लंबे समय तक पार्टी का देश में शासन रहा है।