वेस्‍ट अफ्रीकी देशों में इबोला कहर के बीच नाइजीरिया में इंडियन डॉक्‍टरों को बंधक बना लिया गया है. इन डॉक्‍टरों से इबोला पीडि़तों का इलाज करवाये जाने से हड़कंप मच गया है. हालांकि नाइजीरिया स्थित भारतीय दूतावास हॉस्पिटल मैनेजमेंट और डॉक्‍टरों से लगातार संपर्क किये हुये है.

पासपोर्ट किये जब्त
नाइजीरिया में फंसे डॉक्टरों का कहना है कि राजधानी आबुजा के प्राइमस हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने उनके पासपोर्ट रख लिये हैं. जिससे वे यहां रुकने को मजबूर हैं. हालांकि सभी डॉक्टर काफी डरे हुये भी हैं. सूत्रों ने बताया कि यह मुद्दा बहुत बड़ा नहीं हैं क्योंकि हॉस्पिटल के मालिक भी इंडियन ही हैं. आबुजा में अभी तक इबोला का एक भी रोगी नहीं है. गौरतलब है कि इंडिया के सभी एयरपोर्ट पर रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है. वहीं इबोला प्रभावित देशों से आने वाले पैसेंजर्स की स्क्रीनिंग भी हो रही है.
दवा हुई फेल, मरीज की मौत
इबोला वायरस से लड़ने के लिये डॉक्टरों ने एक नई दवा की खोज की थी, लेकिन वह भी बेअसर साबित हुई. इस दवा का टेस्ट स्पेन में चल रहा था. इस दवा को लाइबेरिया से इबोला से संक्रमित होकर आये पादरी मिगुअल पजारे पर टेस्ट किया जा रहा था. लेकिन सोमवार को उनकी मौत हो गई. जर्मनी की राजधानी बर्लिन के चेराइट हॉस्पिटल में डॉक्टर फ्लोरियन स्टेनर और थॉमस क्लोट्जकोस्की इबोला पीडि़तो का इलाज कर रहे हैं. आपको बता दें कि इस वायरस से ग्रसित लोगों के इलाज के दौरान खास सावधानी बरती जाती है.
1000 लोगों की हो चुकी मौत
वेस्ट अफ्रीकी देशों में फैले इबोला वायरस का कहर अभी भी जारी है. खबरों के मुताबिक इस वायरस से अब तक 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि इस भयावह बीमारी को देखते हुये वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने रोगियों पर दवाओं का परीक्षण जारी रखने की इजाजत दे दी है. वहीं WHO ने इस बीमारी से निपटने के लिये 6 अरब रुपये की योजना बनाई है. WHO ने एक बयान में कहा कि इबोला के तेजी से बढ़ते प्रकोप और विशेष परिस्थितियों में पैनल में बिना परीक्षण किये इस दवा के प्रयोग पर मंजूरी देने पर सहमति बनी. हालांकि इस निर्देश में दवा के प्रयोग के समय पूरी पारदर्शिता रखना आवश्यक किया गया है.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari