क्‍या आप जानते हैं कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे भरोसेमंद देश बन गया है. एक पीआर फर्म एडेलमैन ने एक अध्‍ययन के बाद भारत से जुड़े ऐसे तथ्‍यों की पुष्टि की है. इनमें संस्‍थानों में लोगों की ओर से जताये गये विश्‍वास के आधार पर यह रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गई है. बताया जा रहा है कि इस साल 2015 में इस सूची में भारत तीन पायदान ऊपर चढ़कर दूसरे स्थान पर पहुंच गया है. फर्म की ओर से तैयार की गई यह सूची कुल 27 देशों की है.

कौन-कौन है कौन से स्थान पर
इस सूची को लेकर सबसे ज्यादा दिलचस्प बात यह कि भारत में यह भरोसा ऐसे खास समय में बढ़ा है, जब वैश्विक स्तर पर इसमें सबसे ज्यादा गिरावट भी आयी है. फर्म के इस अध्ययन में 84 प्रतिशत अंकों के साथ यूनाईटेड अरब अमीरात अब पहले स्थान पर, कुल 79 प्रतिशत अंक के साथ भारत दूसरे नंबर पर, 78 प्रतिशत अंक के साथ इंडोनेशिया तीसरे, 74 प्रतिशत अंक के साथ चीन चौथे स्थान पर, 65 प्रतिशत अंक के साथ सिंगापुर पांचवे पर और 64 प्रतिशत अंक के साथ नीदरलैंड छठे स्थान पर पहुंच गया है.
 
मोदी के पीएम बनने को मानते हैं कारण
जानकारों का कहना है कि नरेंद्र मोदी के भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के प्रति वैश्विक स्तर पर धारण बहुत बदली है. इस सर्वे पर गौर करें तो दुनिया भर के शिक्षित वर्ग में संस्थानों को लेकर भरोसे में बहुत ज्यादा कमी दिखाई देखने को मिल रही है. 2009 के बाद ये अब सबसे निचले स्तर पर है. बताया गया है कि इस सर्वेक्षण में इस बार भरोसेमंद देशों की संख्या सिर्फ छह रह गई है, जो अब तक की सबसे कम संख्या है. ये देश संयुक्त अरब अमीरात, भारत, चीन, नीदरलैंड, इंडोनेशिया और सिंगापुर हैं. बताते चलें कि 2014 में भारत पांचवें स्थान पर था.
यहां भारत है 78वें पायदान पर
श्रमबल में प्रतिस्पर्धा क्षमता की बात करें तो वैश्विक स्तर पर भारत 78 वें पायदान पर है. इस आंकड़े से भारत के श्रमबल के कौशल की कमी का भी बखूबी पता चलता है. प्रतिस्पर्धा की इस सूची में स्विटजरलैंड शीर्ष पर मौजूद है. इनसीड बिजनेस स्कूल ने ह्यूमन लीडरशिप इंस्टीट्यूट ऑफ सिंगापुर व एडेको संग मिलकर 93 देशों की सूची तैयार की गई है. इस सूची में स्विट्जरलैंड के बाद सिंगापुर, लग्जमबर्ग, अमेरिका व कनाडा शामिल हैं.

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Posted By: Ruchi D Sharma