जब श्रीलंका को हराने के लिए भारत-पाक क्रिकेटर एक टीम में खेले
कानपुर। भारत बनाम पाकिस्तान की क्रिकेट राइवलरी तो वर्ल्ड फेमस है। इनके बीच की भिड़ंत सिर्फ खिलाड़ियों को नहीं फैंस को भी काफी एक्साइटेड करती है। मगर सोचिए दोनों टीमों के खिलाड़ी एक साथ मिलकर एक टीम के लिए खेले, तब क्या होगा? पहली बार सुनने में ये बात भले अजीब लगे लेकिन ऐसा हुआ था 23 साल पहले। साल 1996 की बात है, वर्ल्ड कप शुरु होने में बस दो दिन बाकी थे। सभी मैचों की जगह और तारीख तय हो गई थी। भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका की टीमें मिलकर इस विश्व कप को होस्ट कर रही थीं। टूर्नामेंट के कुछ मैच श्रीलंका में खेले जाने थे मगर ऐन वक्त पर ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम ने श्रीलंका जाने से मना कर दिया। दरअसल उस वक्त श्रीलंका में सिविल वाॅर चल रहा था ऐसे में सुरक्षा के मद्देनजर कंगारु और कैरेबियाई टीम ने वहां खेलने से इंकार कर दिया।
श्रीलंका के खिलाफ मिलकर खेला मैच
भारत-पाक की संयुक्त टीम जिसका नाम विल्स इलेवन था, इसने 13 फरवरी को कोलंबो के प्रेमदासा स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ एक वार्म अप मैच खेला। विल्स इलेवन टीम की कमान मोहम्मद अजहरुद्दीन को दी गई थी। अजहर ने टाॅस जीतकर पहले फील्डिंग का निर्णय लिया। श्रीलंका की तरफ से ओपनिंग करने आए जयसूर्या और कलुविथरना। श्रीलंका का जब पहला विकेट गिरा तो दुनिया ने वो पल देखा जो दोबारा कभी नहीं देखा गया। कलुविथरना को वसीम अकरम ने सचिन तेंदुलकर के हाथों कैच आउट करवाया। खैर इसके बाद विकेटों का सिलसिला गिरता गया। भारत और पाक गेंदबाजों ने निर्धारित 40 ओवर में श्रीलंका को सिर्फ 168 रन बनाने दिए। विल्स इलेवन की टीम से सर्वाधिक चार विकेट अनिल कुंबले ने लिए।
अनवर और तेंदुलकर आए ओपनिंग करने
श्रीलंका द्वारा दिए 169 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी विल्स इलेवन की टीम ने सईद अनवर और सचिन तेंदुलकर को ओपनिंग के लिए भेजा। सचिन ने जहां 36 रन बनाए वहीं अनवर 16 रन पर आउट हो गए थे। इसके बाद अजहर (32), अजय जडेजा (28) ने कुछ उपयोगी पारी खेली। अंत में विल्स इलेवन को जीत राशिद लतीफ नाबाद 21 ने दिलाई। भारत-पाक की इस संयुक्त टीम ने ये मैच चार विकेट से जीत लिया।
They won it in 1996 & they'll be back again in 2019! 🇱🇰
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फिर भी नहीं खेलने आईं ऑस्ट्रेलिया-विंडीज की टीमें
भारत-पाक के संयुक्त रूप से खेलने के बाद सभी को लगा कि ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज टीमें अपना मन बदल लेंगी, मगर ऐसा नहीं हुआ। इन दोनों टीमों ने श्रीलंका में शेड्यूल कोई भी मैच नहीं खेले। ऐसे में मेजबान श्रीलंका को फायदा हुआ और उन्हें बिना खेले विजेता घोषित कर दिया गया। ऐसे में श्रीलंका के प्वाॅइंट्स काफी बढ़ गए थे। जिसके चलते लीग श्रीलंकाई टीम फाइनल तक पहुंच गई और खिताबी मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को हराकर विश्व चैंपियन बनी।
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