साइबर सुरक्षा मामलों में भारत फ़िसड्डी
साइबर या ऑनलाइन हमलों से सुरक्षा को लेकर आई 'मैकेफ़ी साइबर डिफ़ेंस रिपोर्ट' ने ये रैंक या स्थान देश की साइबर सुरक्षा की विशेषज्ञों की धारणा के आधार पर दिया है.रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर जानकारियों का आदान-प्रदान इस मामले में आगे रहने के लिए काफ़ी ज़रूरी है.अमरीका, जर्मनी, स्पेन, फ़्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों को पाँच में से चार अंकों के साथ अच्छी रैंकिंग दी गई है यानी ये देश साइबर सुरक्षा के मामले में चौकस हैं.अच्छे स्कोर इस बात पर निर्भर थे कि देशों में पर्याप्त फ़ायरवॉल हैं कि नहीं या वे वायरस का सामना करने में कितने सक्षम हैं.स्वीडन, फ़िनलैंड और इसराइल ने इस मामले में रिपोर्ट के विशेषज्ञों को प्रभावित किया और वो भी तब जबकि इसराइल पर हर मिनट लगभग एक हज़ार साइबर हमले हो रहे हैं.
इसराइली प्रधानमंत्री बेन्जमिन नेतन्याहू के वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार आइज़क बेन के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, "हैकिंग से जुड़े गुट कई हमले करते हैं मगर वे ज़्यादा नुक़सान नहीं पहुँचा पाते. असली ख़तरा तो देशों और प्रमुख आपराधिक संगठनों की ओर से है."
सूचनाओं का आदान-प्रदान सहयोग "साइबर अपराधी अलग-अलग देशों के ज़रिए संपर्क में रहते हैं. अगर ये अपराधी ख़ास तौर पर चालाक हैं तो वे ऐसे देशों के ज़रिए संपर्क में रहते हैं जहाँ के बारे में उन्हें पता है कि वे सहयोग नहीं करेंगे" राज समानी, मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी-मैकेफ़ी उन्होंने बताया कि देश ने साइबर टास्कफ़ोर्स बनाई है जो बिजली उत्पादन या पानी की आपूर्ति जैसी प्रमुख बुनियादी सुविधाओं पर ख़तरे का आकलन करती है.पश्चिमी देशों के कई विश्लेषक चीन को साइबर हमलों का दोषी मानते हैं मगर एक एक विशेषज्ञ पेरन वॉन्ग के अनुसार देश ख़ुद इन हमलों का शिकार हो सकता है क्योंकि उससे निबटने के लिए वहाँ कोई संयुक्त नीति नहीं है.पेरन ने कहा, "जन सुरक्षा मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय, राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रालय और यहाँ तक की सेना भी इसमें शामिल है मगर वे आपस में चर्चा ही नहीं करते."भारत को पाँच में से सिर्फ़ ढाई अंक मिले हैं और वह ब्राज़ील तथा रोमानिया जैसे देशों के साथ है. मैक्सिको को सबसे कम दो अंक मिले हैं. पोलैंड, इटली और रूस के साथ चीन को तीन अंक दिए गए हैं.इस रिपोर्ट के अंत में सिफ़ारिश की गई है कि देशों को सीमा के आर-पार क़ानून लागू करने के प्रावधान मज़बूत करने चाहिए.
मैकेफ़ी के प्रमुख प्रौद्योगिकी अधिकारी राज समानी ने कहा, "साइबर अपराधी अलग-अलग देशों के ज़रिए संपर्क में रहते हैं. अगर ये अपराधी ख़ास तौर पर चालाक हैं तो वे ऐसे देशों के ज़रिए संपर्क में रहते हैं जहाँ के बारे में उन्हें पता है कि वे सहयोग नहीं करेंगे."समानी के अनुसार साइबर अपराधी आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान करते रहते हैं और देशों को भी ये करने की ज़रूरत है.