...तो ब्रिसबेन में इन 5 कारणों से हारी टीम इंडिया
1. टॉस जीतकर लिया गलत फैसला :
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया, जो गलत साबित हुआ. ब्रिसबेन में बादल छाए हुए थे, पिच पर उछाल थी और तेज गेंदबाजों को मदद मिल सकती थी, इन सब बातों के मद्देनजर भारत को पहले फील्डिंग करने का फैसला लेना चाहिए था.
मेलबर्न और सिडनी की तुलना में गाबा की पिच पर अतिरिक्त उछाल थी, जिसका इंग्लिश गेंदबाजों ने जमकर लाभ उठाया. भारतीय बल्लेबाज इस अतिरिक्त उछाल से तालमेल नहीं बिठा पाए और इंग्लिश गेंदबाजों की सटीक लाइन-लैंथ ने उनका काम मुश्किल बना दिया.
3. शीर्ष बल्लेबाज बुरी तरह फ्लॉप :
शिखर धवन सीरीज में लगातार दूसरी बार असफल रहे, वे एंडरसन की खूबसूरत गेंद के शिकार बने, लेकिन विराट कोहली और अंबाती रायुडू उछाल लेती गेंदों पर गैर जिम्मेदाराना ढंग से शॉट खेलकर आउट हुए. इन्होंने एंगल्ड बैट से थर्डमैन की तरफ गेंद को डिफ्लेक्ट करने का प्रयास किया, जबकि इन्हें सीधे या होरिजेंटल बल्ले से शॉट खेलने चाहिए थे. उछाल लेती पिच पर शरीर के ज्यादा करीब से खेलना भी इन्हें भारी पड़ा. सुरेश रैना को उनका अतिआत्मविश्वास ले डूबा, उन्हें क्रीज पर आए समय भी नहीं हुआ था और उन्होंने आगे निकलकर खेलने के चक्कर में विकेट गंवाया.
धवन के आउट होने के बाद अजिंक्य रहाणे ने कुछ अच्छे शॉट्स लगाए और वे क्रीज पर जमते हुए नजर आ रहे थे लेकिन उन्होंने अचानक रन बनाने की जल्दबाजी दिखाई. फिन की गेंद पर आगे निकलकर खेलना उस वक्त जरूरी नहीं था और ऐसा करना उन्हें तथा टीम को भारी पड़ा. स्टुअर्ट बिन्नी ने मिले मौके का पूरा लाभ उठाया और अच्छी बल्लेबाजी की. बिन्नी को अपनी प्रतिभा साबित करने का सुनहरा मौका था जिसे उन्हें भुनाना चाहिए था, लेकिन वे भी जोश में होश खो बैठे. पुछल्ले बल्लेबाजों को साथ लेकर उन्हें जिम्मेदारीपूर्वक प्रदर्शन करना चाहिए थे, लेकिन वे अर्द्धशतक भी पूरा नहीं कर पाए.
5. पूरे ओवर भी नहीं खेल पाए :
जब टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाज असफल हो गए तो किसी ने भी पुछल्ले बल्लेबाजों से बड़े स्कोर की उम्मीद नहीं की थी, लेकिन जब आप राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हो तो आपसे इतनी उम्मीद तो की जा सकती है कि आप क्रीज पर टिके रहे. यदि टीम 50 ओवर बल्लेबाजी कर लेती तो कम से कम 30-40 रन तो ज्यादा बन ही जाते.