ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने दुनिया भर के 177 देशों में भ्रष्टाचार की अवधारणा से जुड़ी इस साल की सूची जारी की है. यह सूची बताती है कि सत्ता का दुरुपयोग गोपनीय सौदे और रिश्वतखोरी दुनिया भर के समाजों को बर्बाद कर रहे हैं.


इस सूची में भारत 36 अंकों के साथ 94वें स्थान पर है. भारत को दूसरे साल भी यही स्कोर मिला है.दक्षिण एशिया के बाक़ी देशों पर नज़र दौड़ाएं तो भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान की स्थिति भारत के मुक़ाबले और बदतर हुई है, जो 28 अंक लेकर 127वें स्थान पर है. हालांकि अगर साल 2012 का स्कोर देखें तो पाकिस्तान में पिछले साल के मुक़ाबले भ्रष्टाचार एक अंक कम हुआ है.सूची के मुताबिक 100 अंक वाले देश को लगभग भ्रष्टाचार मुक्त माना जाता है और ज़ीरो का मतलब है कि तक़रीबन भ्रष्ट. सूची में शामिल 177 देशों में से दो तिहाई अब भी 50 अंक से नीचे हैं.इस सूची में श्रीलंका भारत से बेहतर स्थिति में है, जिसे सूची में 37 अंक के साथ 91वां स्थान मिला है.अफ़ग़ानिस्तान 'सबसे भ्रष्ट'


लाबेल का कहना है, ''सबसे अच्छा करने वाले देशों को देखकर साफ़ लगता है कि कैसे पारदर्शिता ज़िम्मेदारी लाती है और भ्रष्टाचार को ख़त्म कर सकती है. फिर भी अच्छा प्रदर्शन करने वाले देशों में राज्य का क़ब्ज़ा, अभियानों की वित्तीय मदद और बड़े सार्वजनिक ठेकों पर ध्यान न देने से बड़े भ्रष्टाचार का ख़तरा बना हुआ है.''

भ्रष्टाचार सूची सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार पर विशेषज्ञों की राय के आधार पर बनाई जाती है. विभिन्न देशों के स्कोर वहां की सूचनाओं और जनसेवा में जुड़े लोगों के व्यवहार पर नियंत्रण रखने वाले नियमों तक पहुंच से बनते बिगड़ते हैं, वहीं सार्वजनिक क्षेत्र में जवाबदेही की कमी और सार्वजनिक संस्थानों में कार्यकुशलता की कमी इस स्कोर को प्रभावित करती है.भ्रष्टाचार 'बड़ी चुनौती'ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र खासकर राजनीतिक दलों, पुलिस और न्यायिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.एजेंसी का कहना है कि सार्वजनिक संस्थानों को अपने काम, अपने अधिकारियों और अपने निर्णयों के बारे में ज़्यादा खुला होने की ज़रूरत है. भ्रष्टाचार की जांच पड़ताल और उस पर कार्रवाई भी काफ़ी कठिन काम है.ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने चेतावनी दी है कि मौसम में बदलाव, आर्थिक संकट और भीषण ग़रीबी से निपटने के लिए भविष्य में उठाए गए क़दमों को बढ़ते भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ेगा.जी-20 जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को हवाला के पैसे पर रोक लगानी होगी, कॉर्पोरेशन को ज़्यादा पारदर्शी बनाना होगा और चुराई गई पूंजी की वापसी सुनिश्चित करनी होगी.

लाबेल ने कहा, ''वक़्त आ गया है कि अब ऐसे लोगों को रोका जाए जो भ्रष्टाचार करके साफ़ बच निकलते हैं. क़ानूनी कमज़ोरियां और सरकारों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी दोनों घरेलू और सीमा पार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं और इस वजह से भ्रष्टों के बच निकलने को रोकना होगा.''

Posted By: Subhesh Sharma