वर्ल्ड हॉकी लीग में नीदरलैंड्स को हराकर भारत ने जीता कांस्य
शूट आउट से जीता पदक
भारतीय खिलाडिय़ो ने मैच के आखिरी 21 मिनट में असाधारण खेल का प्रदर्शन करते हुए दिग्गज नीदरलैंड्स को पछाड़ते हुए वर्ल्ड हॉकी लीग फाइनल में कांस्य पदक पक्का किया। भारतीय हॉकी टीम ने 33 साल बाद किसी विश्व स्तरीय स्पर्धा में पदक जीता है। अविरल, अनवरत प्रबल वेग से खेले गए मैच में दोनों टीमें निर्धारित समय में 5-5 से बराबरी पर रहीं। इसके बाद निर्णय के लिए खेले गए शूटआउट में भारतीय गोली श्रीजेश ने तीन डच खिलाडिय़ों के वार को विफल करते हुए 3-2 के अंतिम स्कोर के साथ भारत का टूर्नामेंट में तीसरा स्थान पक्का किया।
उतार चढ़ाव से भरा रहा मैच
पहले हाफ में ही 2-0 की बढ़त लेकर डच खिलाडिय़ों ने भारतीयों को पीछे छोड़ दिया था। ये गोल माइक्रो प्ररूजर (9वें मिनट) और निक वेन डेर शूट (25वें मिनट) ने दागे। 39वें मिनट में मनप्रीत सिंह के शानदार पास पर रमनदीप सिंह ने स्कोर 1-2 कर दिया। यही से मैच ने पलटा खाया। रुपिंदरपाल सिंह ने 47वें मिनट में मिले चौथे पेनाल्टी कॉर्नर पर गोल दाग 2-2 से बराबरी की। 51वें मिनट मे रमनदीप सिंह ने स्कोर 3-2 कर दिया, लेकिन 54वें मिनट में ही डच कप्तान वीरडन ने चौथे पेनाल्टी कॉर्नर पर गोल कर एक बार फिर स्कोर बराबर कर दिया। 55वें मिनट में मिले पेनाल्टी स्ट्रोक पर रुपिंदरपाल सिंह ने भारत को 4-3 से आगे कर दिया। 56वें मिनट में मनप्रीत सिंह और सरदार सिंह के तालमेल पर डी में मंडराती गेंद को आकाशदीप सिंह ने गोल में भेजकर स्कोर 5-3 कर दिया। डच खिलाडिय़ों ने हिम्मत नहीं हारते हुए ताबड़तोड़ हमले कर 58वें व 60वें मिनट मे पेनाल्टी कॉर्नर हासिल किए और कप्तान वीरडन ने दोनों अवसरों पर गोल जड़ अपनी हैट्रिक पूरी करते हुए टीम को बराबरी दिला दी और मैच को शूटआउट में धकेल दिया।
ऑस्ट्रेलिया बना चैंपियन
विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया ने जुझारू बेल्जियम को 2-1 से हराकर हॉकी वर्ल्ड लीग फाइनल्स का खिताब जीत लिया। जर्मी हेवर्ड (16वें मिनट) और मैथ्यू डॉसन (37वें मिनट) ने ऑस्ट्रेलिया के लिए गोल किए। बेल्जियम का एकमात्र गोल आखिरी मिनट में साइमन गुगनर्ड ने दागा। यह हॉकी वर्ल्ड लीग (2014-2015) का दूसरा सत्र था। पहले सत्र (2012-2014) में ऑस्ट्रेलिया चौथे स्थान पर और बेल्जियम पांचवें स्थान पर रहा था।