'पाकिस्तान में सुजाताओं की लाइन लगी है'
पाकिस्तान के तीसरे गवर्नर जनरल ग़ुलाम मोहम्मद को चौथे गवर्नर जनरल इस्कंदर मिर्ज़ा ने डंडा-डोली करके उनके घर पहुँचवा दिया और फिर अपने पद की शपथ ले ली.इन्हीं इस्कंदर मिर्ज़ा को उन्हीं के मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर जनरल अयूब ख़ान ने पाँच अफ़सर आधी रात को भिजवा के एक टाइप किया हुआ त्यागपत्र सामने रख दिया और त्यागपत्र पर भरा पिस्तौल भी पेपरवेट के तौर पर रख दिया. और एक प्लेन स्लीपिंग सूट पहने हुए मिर्ज़ा साहब को थमा दिया कि सत्ता छोड़ दें.अगली सुबह उन्हें तेहरान जाने वाली फ्लाइट पर यह कहकर सवार कर दिया गया कि जहाँ रहो ख़ुश रहो. और फिर एक दिन सदर अयूब ख़ान से उन्हीं के कमांडर इन चीफ़ याहया ख़ान ने ये कहकर इस्तीफ़ा मांग लिया कि सर मुझे और मुश्किल में न डालें...आपकी हमारे दिल में बहुत इज़्ज़त है...भीगी बिल्ली
और फिर इन ज़िया-उल-हक़ साहब ने अपने ही हाथ से मोहम्मद ख़ान जुनेजो को प्रधानमंत्री बनाया और जब जुनेजो साहब वाकई अपने आपको प्रधानमंत्री समझने लगे तो फिलीपींस की सरकारी यात्रा से वापसी पर प्रधानमंत्री का विमान पिंडी में उतरा और उन्हें बताया गया कि अब वो प्रधानमंत्री के साथ भूतपूर्व जोड़ लें.
कुछ इसी तरह का मिलता जुलता काम श्रीमती बेनज़ीर भुट्टो और श्रीमान नवाज़ शरीफ़ के साथ दो-दो दफ़ा हुआ. और जिसने दूसरी दफ़ा नवाज़ शरीफ़ को विदा किया उसी परवेज़ मुशर्रफ़ के साथ आसिफ़ अली जरदारी ने हाथ दिखा दिया. और मुशर्रफ साहब को दूसरी पारी ठीक तरह से शुरू करने से पहले ही गॉर्ड ऑफ़ ऑनर पेश करके राष्ट्रपति भवन से हंसते-खेलते रुख़्सत कर दिया.जब ऐसे ऐसे दिग्गजों के साथ ये हो सकता है तो आम-साम अफ़सर लोग किस गिनती शुमार खाते में हैं....