इस प्रेरणादायक कहानी में मिल सकता है आपकी समस्या का समाधान!
एक शिष्य ने उत्तर में कहा, 'ये वास्तव में हमारे देखने के तरीके पर निर्भर है। एक दृष्टिकोण से देखें तो रस्सी वही है, इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। दूसरी तरह से देखें तो अब इसमें तीन गांठें लगी हुई हैं, जो पहले नहीं थीं। इसे बदला हुआ कह सकते हैं, पर भले ही ये बदली हुई प्रतीत हो पर अंदर से तो ये वही है जो पहले थी। इसका बुनियादी स्वरूप अपरिवर्तित है।
'सत्य है!’ बुद्ध ने कहा, 'अब मैं इन गांठों को खोल देता हूं।‘ यह कहकर बुद्ध रस्सी के दोनों सिरों को एक-दूसरे से दूर खींचने लगे। उन्होंने पूछा, 'क्या इस तरह मैं इन गांठों को खोल सकता हूं?’ शिष्य ने कहा, 'ऐसा करने से तो ये गांठें और भी कस जाएंगी।‘ बुद्ध ने कहा, 'ठीक है, अब एक आखिरी प्रश्न, बताओ। इन गांठों को खोलने के लिए हमें क्या करना होगा? शिष्य बोला, 'इसके लिए हमें इन गांठों को गौर से देखना होगा, ताकि हम जान सकें कि इन्हें कैसे लगाया गया था, और फिर हम इन्हें खोलने का प्रयास कर सकते हैं।‘
कारण के बिना निवारण असंभवबुद्ध ने कहा, 'मूल प्रश्न यही है कि जिस समस्या में तुम फंसे हो, वास्तव में उसका कारण क्या है, बिना यह जाने निवारण असंभव है।‘ जिस प्रकार रस्सी में गांठें लग जाने पर भी उसका बुनियादी स्वरूप नहीं बदलता, उसी प्रकार मनुष्य में भी कुछ विकार आ जाने से उसके अंदर के गुण खत्म नहीं हो जाते। जैसे हम रस्सी की गांठें खोल सकते हैं, वैसे ही अपनी समस्याओं का भी हल निकाल सकते हैं। बस हमें उस समस्या के कारण में जाना होगा। अगर कारण समझ आ गया, तो समझ जाएं कि समाधान भी मिल गया।परमात्मा में प्रविष्ट होने का द्वार है शून्यताभगवान की भक्ति में मौजूद शक्ति को पहचानिए, बाकी शक्तियां लगेंगी बेकार!