ICC World Cup 2019 : वर्ल्डकप फाइनल में सबसे कम स्कोर क्या है, जिसे डिफेंड कर जीता गया मैच
कानपुर। आईसीसी क्रिकेट वर्ल्डकप 2019 का खिताबी मुकाबला न्यूजीलैंड बनाम इंग्लैंड के बीच खेला जा रहा। इस मैच में कीवी कप्तान केन विलियमसन ने टाॅस जीतकर पहले बल्लेबाजी की और निर्धारित 50 ओवर में आठ विकेट के नुकसान पर 241 रन बनाए। विश्वकप इतिहास में 241 से कम स्कोर सिर्फ एक टीम ने सक्सेसफुली डिफेंड किया और वो कोई और नहीं भारतीय क्रिकेट टीम है। भारत ने कपिल देव की कप्तानी में 1983 वर्ल्डकप फाइनल में 183 रन बनाए थे। जिसे टीम इंडिया ने सफलता पूर्वक डिफेंड करके पहला विश्वकप खिताब जीता था।
भारत ने डिफेंड किया है सबसे कम स्कोर
1983 वर्ल्डकप में भारत ने न सिर्फ फाइनल में जगह बनाई जबकि दो बार की चैंपियन रही वेस्टइंडीज को खिताबी मुकाबले में मात देकर वर्ल्ड कप विनर का तमगा हासिल किया था। भारत के लिए वर्ल्ड कप जीतना इतना आसान नहीं था, ऊपर से जब पूरी टीम खिताबी मुकाबले में 183 रन पर ऑलआउट हो गई तो सभी को लगा फाइनल कैरेबियाई टीम ही जीतेगी। यह तो भला हो कपिल देव का जिन्होंने विवियन रिचर्ड्स का एक शानदार कैच पकड़कर मैच का पासा ही पलट दिया। बता दें कपिल के शानदार कैच के बाद मैच देख रहे दर्शक मैदान में घुस आए और कुछ तो कपिल के कंधे पर चढ़ गए।
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नहीं चल पाए थे भारतीय बल्लेबाज
वेस्टइंडीज ने इस मैच में टॉस जीतकर पहले भारत का बल्लेबाजी का न्यौता दिया। भारत की तरफ से सुनील गावस्कर और के श्रीकांत बतौर ओपनर क्रीज पर उतरे। अभी टीम का कुल स्कोर 2 रन ही था कि लिटिल मास्टर गावस्कर दो रन बनाकर पवेलियन लौट गए। गावस्कर जैसे दिग्गज बल्लेबाज के सस्ते में आउट हो जाने से भारत को तगड़ा झटका लगा। मगर दूसरे छोर पर बैटिंग कर रहे श्रीकांत धीरे-धीरे अपनी पारी आगे बढ़ाते रहे। ईएसपीएन क्रिकइन्फो के डेटा के मुताबिक, दूसरे विकेट के लिए श्रीकांत और अमरनाथ के बीच अर्धशतकीय साझेदारी ही हुई थी कि 59 रन पर श्रीकांत भी अपना विकेट गंवा बैठे। श्रीकांत ने 38 रन बनाए थे जोकि इस मैच में किसी भी भारतीय बल्लेबाज द्वारा बनाया गया सर्वाधिक स्कोर था। इसके बाद संदीप पाटिल (27), कपिल देव (15) और मदन लाल (17) ने छोटी-छोटी पारियां खेलकर भारत का स्कोर 150 के पार पहुंचाया। हालांकि टीम इंडिया अपने पूरे ओवर भी नहीं खेल सकी और 183 रन पर भारत ऑलआउट हो गया।
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फिर गेंदबाजों ने किया कमाल
वेस्टइंडीज को यह मैच जीतने के लिए 60 ओवर में (तब वनडे 60-60 ओवर का होता था) 184 रन बनाने थे। हर कोई समझ गया था कि कैरेबियंस रिकॉर्ड तीसरी बार वर्ल्ड कप अपने नाम कर जाएंगे। मगर उस दिन कुछ अलग होना था। 5 रन के स्कोर पर वेस्टइंडीज को पहला झटका मिल गया था। हालांकि उसके बाद रिचर्ड्स और हेन्स ने महत्वूपर्ण साझैदारी कर टीम को लक्ष्य तक पहुंचाने की कोशिश की। विवियन रिचर्ड्स ऐसे बल्लेबाजी कर रहे थे मानो 30 ओवर में ही मैच खत्म कर देंगे। मगर ऐसा हुआ नहीं, मदन लाल की एक गेंद पर रिचर्ड्स ने हवा में शॉट मार दिया, नीचे फील्डर थे कपिल देव। भारतीय कप्तान जानते थे अगर ये कैच उन्होंने पकड़ लिया तो मैच पलट सकता है, हुआ भी यही। कपिल ने शानदार फील्डिंग का प्रदर्शन करते हुए 33 रन के स्कोर पर रिचर्ड्स को चलता किया। इसके बाद तो विकेटों की झड़ी लग गई और पूरी कैरेबियाई टीम 140 रन पर ऑलआउट हो गई। भारत ने यह मैच 43 रन से जीत लिया, साथ ही वर्ल्ड कप भी।