अमरीकी पुलिस का कहना है कि वीज़ा नियमों में धोखाधड़ी के मामले में गिरफ़्तार भारतीय राजनयिक को निर्वस्त्र करके तलाशी ली गई और उनके साथ वही बर्ताव किया गया जो किसी और क़ैदी के साथ किया जाता है.


अमरीकी विदेश विभाग ने भारतीय राजनयिक की गिरफ़्तारी की पूरी प्रक्रिया की जांच के आदेश दिए हैं.अपराधियों को अदालत तक ले जाने के लिए ज़िम्मेदार अमरीकी मार्शल सर्विस का कहना है की देवयानी खोबरागड़े के साथ कोई अलग व्यवहार नहीं किया गया. उनके साथ वही तलाशी प्रक्रिया अपनाई गई जो हर क़ैदी पर लागू होती है. खोबरागड़े के वकील डैनियल आर्शैक ने बीबीसी को बताया कि जिस तरह तलाशी ली गई वो शर्मनाक है.उनका कहना था, “अमरीकी मार्शल सर्विस के लिए अपराधियों की इस तरह की तलाशी असामान्य नहीं है लेकिन एक राजनयिक के साथ इस तरह का व्यवहार विएना समझौते का उल्लंघन है.”न्यूयॉर्क की उप वाणिज्य दूत को जिस तरह से हथकड़ी लगाकर गिरफ़्तार किया और जिस तरह से उनकी तलाशी ली गई उस पर भारत ने कड़ा विरोध जताया है.भारत की प्रतिक्रिया


उन्होंने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों में भारत और अमरीका के उच्च राजनयिकों की कई बार बैठक हो चुकी है और इस मामले का हल निकालने की कोशिश की जा रही है.लेकिन उनका कहना था कि ये क़ाऩूनी मामला है और उसकी एक अपनी प्रक्रिया होती है.

मैरी हार्फ़ का कहना था कि वाणिज़्य दूतों को गिरफ़्तारी से माफ़ी तभी मिलती है अगर वो मामला उनके सरकारी काम से जुड़ा हो.उल्लंघनउन्होंने बताया कि विदेश विभाग ने भारत सरकार को सितंबर में ही इस बात से अवगत कराया था कि न्यूयॉर्क स्थित उप वाणिज्य दूत के ख़िलाफ़ एक भारतीय नागरिक ने ही शोषण का आरोप लगाया है.उप वाणिज्य दूत खोबरागड़े पर आरोप है कि उन्होंने अपने घरेलू सहायक के वीज़ा आवेदन में ग़लत दस्तावेज़ पेश करवाए और जानबूझ कर ग़लत जानकारी पेश करके वीज़ा हासिल किया.अमरीकी विदेश विभाग की तरफ़ से अदालत में पेश दस्तावेज़ के अनुसार 2012 में इस सहायक के लिए वीज़ा हासिल करने के लिए जो दस्तावेज़ पेश किए गए उनमें कहा गया कि उसे अमरीकी क़ानून के अनुसार 4500 डॉलर वेतन दिया जाएगा लेकिन असलियत में उसे 600 डॉलर से भी कम वेतन दिया जाता था.खोबरागड़े पर ये भी आरोप है कि उन्होंने अमरीकी क़ानून के तहत कामगारों को दी जानेवाली दूसरी सुविधाओं का भी उल्लंघन किया.उनपर वीज़ा धोखाधड़ी और ग़लत बयान देने के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ है और अगर आरोप साबित हो जाते हैं तो पहले आरोप के तहत दस साल और दूसरे आरोप में पांच साल की सज़ा हो सकती है.

अमरीका में इस मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी.

Posted By: Subhesh Sharma