World Hypertension Day 2020: हाइपरटेंशन है एक साइलेंट किलर, जानिए इसके लक्षण, बचाव व उपचार
कानपुर। Hypertension Day 2020: आज के समय में ज्यादातर लोग हाइपरटेंशन के शिकार हो रहे हैं। यह हाई प्रेशर हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी की समस्या या डिमेंशिया जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। हाइपरटेंशन आमतौर पर एक साइलेंट कंडीशन है। क्योंकि शुरुआत में कई लोगों में इसके कोई भी लक्षण नहीं नजर आते हैं। यही इसकी सबसे खतरनाक बात है कि आपको पता ही नहीं चलता कि आपको ये बीमारी है। करीब एक-तिहाई लोगों को हाइपरटेंशन होने की जानकारी नहीं होती और जिन्हें पता चलता है वह भी काफी समय बीतने के बाद ही इस बारे में जान पाते हैं। ब्लड प्रेशर थोड़ा-बहुत बढ़ने पर आपको कोई खास लक्षण नजर नहीं आयेंगे, लेकिन अगर ये ज्यादा बढ़ जाता है तो आपको इनमें से कुछ लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
हाइपरटेंशन के लक्षणधुंधला दिखना-कई बार ऐसा हो जाता है कि हाइपरटेंशन की वजह से आपको धुंधला दिखने लगता है। ऐसा होने का मुख्य कारण है, जब हाइपरटेंशन बढ़ जाता है तो दिमाग के कई हिस्सों में सूजन आ जाती है। जिससे आंख से जुड़ी नसें प्रभावित होती है, जिसके कारण धुंधला दिखने लगता है। कई लोगों के साथ यह समस्या हो जाती है कि दिमाग में अधिक सूजन होने जाने के कारण ऑप्टिक नर्व भी सूज सकती है जिससे देखने की क्षमता भी खत्म हो सकती है।
थकान और अनिद्रा-जब इंसान में हाइपरटेंशन बढ़ जाता है तब शरीर के कई अंदरूनी अंग कमजोर और खराब हो जाते हैं साथ ही हार्ट चैम्बर्स के मोटे हो जाने के कारण पूरे शरीर में खून ठीक से नहीं पहुंच पाता है जिससे उस इंसान का थकान और अनिद्रा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
नाक और मूत्र से खून- आना कई बार कुछ लोगों के नाक और मूत्र से अधिकतर खून निकलने लगता है. इसका मुख्य कारण हाइपरटेंशन भी हो सकता है, इसलिए तुरंत किसी डॉक्टर को दिखाएं, जिससे ये बीमारी ज्यादा न बढ़े।
सांस लेने में दिक्कत-हार्ट चैम्बर्स में अधिक दवाब बढ़ने के कारण हार्ट ठीक से खून को पंप नहीं कर पाता है, जिससे आपके फेफड़ों में भी पर्याप्त मात्रा में खून नहीं पहुंच पाता, जिसके कारण आपको सांस लेने में समस्या उत्पन्न हो जाती है।
चेस्ट में दर्द-कई बार कुछ लोग जब तेज चलते हैं या सीढ़ियां चढ़ते हैं तो उनके चेस्ट में दर्द होने लगाता है। लोग इसको कई बार नजरअंदाज कर देते हैं। जो आगे चलकर बहुत बड़ी समस्या बन जाती है।
तेज सिरदर्द-जब बॉडी में ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तब क्रेनियम पर दबाव काफी बढ़ जाता है, जो सिर का ही एक पार्ट होता है, जिसके कारण सिर में तेज दर्द होने लगता है, जो आगे चलकर माइग्रेन की समस्या बन जाता है, जब अधिक हाइपरटेंशन होता है तब कई बार मिचली आने जैसी समस्याएं भी होने लगती हैैै।
अधिकतर मामलों में हाइपरटेंशन होने का कारण पता नहीं चल पता है, पर ऐसे कई रिस्क फैक्टर्स हैं, जिनके कारण हाईबीपी की बीमारी हो सकती है।
अधिक उम्र: बढ़ती उम्र के साथ-साथ हाईबीपी होने का रिस्क भी बढ़ता जाता है. हालांकि, अब युवाओं में भी ये बीमारी पाई जाने लगी है।
फैमिली हिस्ट्री: अगर परिवार में किसी को हाई बीपी है तो आपको भी ये बीमारी होने के चांसेस बढ़ जाते हैं।
मोटापा: मोटापा खुद एक समस्या है और ये अपने साथ अन्य कई बीमारियाँ लेकर आती है, उन्हीं में से एक है हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी।
नार्मल वेट वाले लोगों की अपेक्षा ओवर वेट लोगों को हाईबीपी होने का खतरा ज्यादा होता है।
-फिजिकल इनएक्टिविटी : अगर आप फिजिकली एक्टिव नहीं है, ना आप एक्सरसाइज करते हैं, ना अधिक चलते-फिरते हैं या दिनभर बस एक जगह बैठे-बैठे काम करते रहते हैं तो आपको हाईबीपी होने का खतरा बढ़ जाता है।
-स्मोकिंग : स्मोकिंग से कैंसर होने की सम्भावना तो बढ़ ही जाती है पर साथ ही इसके कारण आपके ब्लड वेसेल्स सिकुड़ जाते हैं, जिसके कारण ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। स्मोकिंग की वजह से ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा भी घट जाती है इसलिए इसे कम्पेंसेट करने के लिए हार्ट को तेजी से पंप करना पड़ता है जिससे बीपी बढ़ जाता है।
शराब: कुछ रिसर्च में पाया गाया है कि जो लोग शराब नहीं पीते हैं उनकी तुलना में जो लोग रेगुलरली शराब पीते हैं उनका सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर लगभग 7 mmHg अधिक होता है।
नमक का अधिक सेवन: कम नमक खाने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा नमक खाने वाले लोगों का ब्लडप्रेशर ज्यादा होता है। इसीलिए ब्लडप्रेशर होने पर डॉक्टर भी खाने में नमक कम करने की सलाह देते हैं।
हाई फैट डायट : बहुत से हेल्थ प्रोफेशनल्स का मानना है ज्यादा फैट वाला खाना खाने से भी हाईब्लड प्रेशर की बीमारी हो सकती है।
तनाव: बहुत सी स्टडीज से ये बात साफ़ हो चुकी है कि जो लोग अक्सर तनाव में रहते हैं उनमे आगे चल कर हाईब्लड प्रेशर की समस्या होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
मधुमेह : डायबिटीज से ग्रस्त मरीजों में भी हाइपरटेंशन होने की सम्भावना बढ़ जाती है। हालांकि, यदि आप सही तरीके से अपना सुगर कण्ट्रोल करते हैं तो इसका खतरा कम हो जाता है।
गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान हाईब्लड प्रेशर की शिकायत होना आम है जो डिलीवरी के बाद नॉर्मल हो जाता है।
ये हैं बचाव के उपाय