हंगरी के फेमस लेखक लैस्‍जलो करास्‍जनाहोरकाई ने इस साल का बुकर अवार्ड जीतकर अपने देश का नाम रौशन कर दिया है. इसके साथ ही साथ उन्‍होंने अपनी व्‍यक्तिगत रीडरशिप के दायरे को भी कई गुना बढ़ा लिया है.


जीत लिया बुकर अवार्डहंगरी के लेखक लैस्जलो करास्जनाहोरकाई ने साल 2015 का बुकर अवार्ड जीतकर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया है. लैस्जलो करास्जनाहोरकाई के अलावा इस साल के बुकर अवार्ड की रेस में भारत, लीबिया, मोजांबिक, गुआदली, साउथ अफ्रीका और कांगो के लेखक शामिल थे. भारत की तरफ से फेमस राइटर अमित्व घोष को शामिल किया गया था. इस पुरुस्कार के तहत लैस्जलो को 90 हजार अमेरिकी डॉलर्स की राशि मिलेगी. किस किताब के लिया मिला बुकर
लैस्जलो करास्जनाहोरकाई को उनकी किताबें 'द मेलानचोली ऑफ रेसिस्टेंस', 'सियोबो देयर बिलो' और 'सतनतैंगो' के लिए बुकर अवार्ड से सम्मानित किया गया है. इस मौके पर बुकर अवार्ड ज्युरी की प्रेसीडेंट मारिना वार्नर ने लेखक की कृतियों के बारे में बोलते हुए कहा कि वह असाधारण प्रतिभा के धनी हैं. उन्होंने कहा कि लेखक ने एक शानदार ह्युमर के साथ अपनी कृति में दृश्यों को समाया है. वहीं बुकर प्राइज पाने वाले लेखक ने ट्रांसलेटर प्राइज के 15 हजार डॉलर्स को अपने दो ट्रांसलेटर्स की बीच शेयर करने की योजना बनाई है.

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Posted By: Prabha Punj Mishra