एक आलू जलाएगा 40 दिन तक आपका बल्ब!
शोधकर्ता राबिनोविच और उनके सहयोगी पिछले कुछ सालों से लोगों को यही करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
ये सस्ती धातु की प्लेट्स, तारों और एलईडी बल्ब को जोड़कर किया जाता है और उनका दावा है कि ये तकनीक दुनियाभर के छोटे कस्बों और गांवों को रोशन कर देगी। पढ़ें विशेष रिपोर्टयेरुशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी के राबिनोविच का दावा है, "एक आलू चालीस दिनों तक एलईडी बल्ब को जला सकता है।"राबिनोविच इसके लिए कोई नया सिद्धांत नहीं दे रहे हैं। ये सिद्धांत हाईस्कूल की किताबों में पढ़ाया जाता है और बैटरी इसी पर काम करती है।गोल्डबर्ग बताते हैं, "हमने 20 अलग-अलग तरह के आलू देखे और उनके आतंरिक प्रतिरोध की जांच की। इससे हमें यह समझने में मदद मिली कि गरम होने से कितनी ऊर्जा नष्ट हुई।"
- आलू को आठ मिनट उबालने से आलू के अंदर कार्बनिक ऊतक टूटने लगे, प्रतिरोध कम हुआ और इलेक्ट्रॉन्स ज़्यादा मूवमेंट करने लगे- इससे अधिक ऊर्जा बनी।ऊर्जा तो ज़िंक के घिसने से पैदा होती है। इसका मतलब कुछ देर बाद ज़िंक दोबारा लगाना होगा।
लेकिन ज़िंक सस्ता है और ज़िक इलेक्ट्रोड लगभग पांच महीने तक चलता है और इसकी कीमत एक लीटर केरोसीन के बराबर आती है।कम से कम श्रीलंका में तो एक लीटर केरोसीन एक परिवार दो रात में ही इस्तेमाल कर लेता है।अगर ज़िंक उपलब्ध नहीं है तो मैग्नीशियम और लोहे को भी विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।