आप किसी चीज को सत्य कैसे मानें? इस कथा में है जवाब
एक बार गौतम बुद्ध का कोसल जनपद स्थित केसपुत्त निगम में आगमन हुआ। रात्रि को प्रवचन के उपरांत एक शिष्य ने उनसे प्रश्न किया कि केसपुत्त में जब भी कोई श्रमण आता है और अपने मत का प्रचार कर दूसरे के मत का खंडन करता है, तब हम संशय में पड़ जाते हैं। यह सोचते हैं कि किसका कथन सही है और किसका गलत?
संशय ही ज्ञान का जनकतथागत ने कहा, 'तुम्हारे चित्त का इस प्रकार विचलित होना स्वाभाविक है। वस्तुत: संशय ही ज्ञान का जनक है। इस कारण किसी बात को तुम इसलिए सत्य मत मानो कि यह तुम्हारी श्रुति है। तुम इसलिए भी सत्य मत मानो कि तुम उसे सदा से ही सत्य मानते आ रहो हो या किसी धर्मशास्त्र में उसका अनुमोदन किया गया है। किसी भी प्रकार की भ्रांति में पड़ना श्रेयस्कर नहीं, बल्कि जब तुम्हारा विवेक कहे कि यह सत्य है और यह असत्य तभी उसे सत्य मानो।
कथासारविवेक के आधार पर ही सही गलत का निर्णय लेना चाहिए।जानें सावन में भस्म लगाने का महत्व? त्रिपुण्ड धारण करने से मिलता है भोग और मोक्ष
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