भाई अकेले अकेले बैंगन का भरता खाकर आ गए पूछा भी नहींअरे तुम्हे कैसे पता?बस पता चल जाता है

कभी ना कभी आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ होगा। आप हैरान हो रहे गए होंगे कि आख़िर कैसे बिना बताए लोगों को पता चल गया कि हमने क्या खाया था।

दरअसल हम जो खाते हैं उन खानों की अपनी एक ख़ास खुशबू होती है साथ ही उन्हें ज़ायक़ेदार बनाने के लिए जो मसाले डाले जाते हैं, उनकी महक भी इतनी तीखी होती है कि अगर खाने के बाद दांत साफ़ ना किए जाए तो कोई भी सूंघ कर आपके खाने का अंदाज़ा लगा सकता है।

दरअसल लहसुन में सल्फ़र बड़ी मात्रा में होता है। जब हम उसे पचाते हैं तो ये सल्फ़र खून में शामिल हो जाता है और हमारी सांस की नली, फेफड़ों और मुंह में जमा हो जाता है।

ब्रश करने के बाद मुंह से तो ये महक दूर हो जाती है। लेकिन हमारे शरीर में जिस तरह की गतिविधियां चल रही होती है उनके साथ भी ये सल्फ़र संपर्क साधता है और अपनी महक छोड़ जाता है। मसलन अगर आपको पसीना आएगा तो उसमें भी इसकी महक शामिल होगी।

अब सवाल ये है कि इस महक से निजात आख़िर मिले कैसे? जिस तरह लोहा लोहे को काटता है ठीक इसी तरह लहसुन की इस गंध को उसे खाने के बाद उत्पन्न होने वाले रासायनिक परिवर्तनों के ज़रिए ख़त्म किया जा सकता है।

बहरहाल इंसान का वजूद सांसों की बुनियाद पर है। हमारी सांस और पसीने से ना सिर्फ़ ये पता चलता है कि हमने खाया क्या था बल्कि इससे ये भी पता चलता है कि किस तरह के बैक्टीरिया हमारे मुंह में अपनी बस्ती बना रहे हैं। साथ ही इससे हमारे शरीर में पलने वाली बहुत सी बीमारियों के बारे में भी पता चलता है।

इसके अलावा वैज्ञानिक इस बात की भी खोज कर रहे हैं कि हम सांस के ज़रिए जो अणु अपने अंदर लेते हैं उनसे फेफड़ों के कैंसर जैसी घातक बीमारी का सुराग़ मिल सके।

ख़ैर अब आप बेफ़िक्र होकर लहसुन का इस्तेमाल कीजिए। क्योंकि इसकी महक से निजात के नुस्खे हमने आपको बता ही दिए हैं। तो बिंदास अपना खाने का मज़ा लीजिए।


Posted By: Satyendra Kumar Singh