पुराना प्यार क्यों पुकारे बार बार...
सवाल अटपटे हैं। मगर इनके जवाब बेहद दिलचस्प। दुनिया में ऐसे बहुत से नामी लोग हुए हैं जिन्हें पहले कंपनी से निकाला गया या उन्होंने ख़ुद छोड़ दी। फिर कई साल बाद उन्हें फिर से उसी कंपनी ने वापस आने का बुलावा भेजा। कई मशहूर लोगों ने निजी ज़िंदगी में अपने साथियों को छोड़ा और कुछ वक़्त बाद उन्हें फिर अपनी ज़िंदगी में शामिल किया।ऐसे नामों में मिसाल के तौर पर स्टीव जॉब्स और कलाकर फ्रीदा काल्हो के नाम सबसे ज़्यादा लिए जाते हैं। हॉलीवुड अभिनेताओं एलिज़ाबेथ टेलर और रिचर्ड बर्टन ने तो दो-दो बार शादी की और दो बार एक दूसरे से तलाक़ लिया।वैसे भी किसी से दूर जाने पर, उसकी ख़ूबियों का एहसास, ज़्यादा होता है। कारोबार की दुनिया में वापस बुलाए जाने वाले ऐसे दिग्गज टीम लीडर्स को 'बूमरैंग सीईओ' कहा जाता है।
हैरी और उनके साथी ने 1999 में हॉलीवुड फ़िल्म, 'सेविंग प्राइवेट रेयान' में बहुत छोटे से रोल किए थे। वहां कलाकारों को फ़ौजी वर्ज़िश करते देख, उन्हें इसे कारोबार के तौर पर शुरू करने की सूझी। इसके बाद उन्होंने आम लोगों के लिए मिलिट्री ट्रेनिंग वाली वर्ज़िश देनी शुरू की। कंपनी का नाम रखा ब्रिटिश मिलिट्री फ़िटनेस।
आज की तारीख़ में हैरी की कंपनी पूरे ब्रिटेन में हर हफ़्ते क़रीब 140 ट्रेनिंग कैंप लगाती है।कंपनी शुरू करने के तीन साल बाद उन्हें अफ़ग़ानिस्तान जाना पड़ा जंग लड़ने, फिर 2006 में उन्हें इराक़ के मोर्चे पर भी जाना पड़ा। उन्होंने कारोबार अपने साथी के हवाले किया और चल पड़े अपनी दूसरी ज़िम्मेदारी निभाने। एक फ़ौजी की ड्यूटी करने।लेकिन 2014 में जब उनके साथी ने रिटायर होने का फ़ैसला किया। तो उनकी पुरानी कंपनी ने उन्हें फिर से आकर कमान संभालने की गुज़ारिश की। अपनी दूसरी पारी के बारे में हैरी कहते हैं कि कंपनी अपने मक़सद से भटक गई थी। मौज-मस्ती से काम करने की जगह बोरियत भरे रूटीन ने ले ली थी। दोबारा आने पर हैरी के पास असल जंग का भी तज़ुर्बा था। उन्होंने कंपनी का गेयर बदला। थोड़ी बहुत मरम्मत की और गाड़ी फिर दौड़ पड़ी।पिछले कुछ सालों में अपनी पुरानी कंपनी में फिर से आने का ये चलन बढ़ा है। आख़िर इसकी क्या वजह हो सकती है? पुराने कर्मचारियों को फिर से क्यों बुलाया जाता है?
मगर सबसे अच्छी मिसाल तो एप्पल के सीईओ रहे स्टीव जॉब्स की है। जिन्हें अंदरूनी झगड़ों की वजह से 1985 में अपनी ही बनाई कंपनी एप्पल को छोड़कर जाना पड़ा था। फिर बारह साल बाद कंपनी को अपनी ग़लती का एहसास हुआ और स्टीव को सम्मान के साथ वापस बुलाया गया। अपनी दूसरी पारी मे जॉब्स बेहद कामयाब हुए। आज उन्हीं की वजह से एप्पल, दुनिया की सबसे नामी कंपनी है।वैसे, घर वापसी करने वाले 'बूमरैंग सीईओ' सिर्फ़ आईटी सेक्टर में नहीं हैं। 2013 में कंज़्यूमर कंपनी प्रॉक्टर एंड गैम्बल ने अपने पुराने सीईओ एजी लैफ़्ले को फिर से बुलाकर कमान सौंपी थी। हालांकि अपनी दूसरी पारी में लैफ़्ले उतने कामयाब नहीं रहे, जितना पहली बार हुए थे।ऐसे सीईओ की घर वापसी अक्सर अधूरे एजेंडे को पूरा करने के लिए होती है। ख़ास तौर से जब वो कंपनी की बुनियाद रखे जाने के वक़्त से ही उससे जुड़े रहे हों।अक्सर इंसान अपनी पसंद की नौकरी या कंपनी को अलविदा कहकर जब आगे बढ़ता है तो आगे जाकर उसे कहीं न कहीं ये ख़याल भी आता है कि अगर पुरानी जगह पर होते तो शायद हालात बेहतर होते। अपनी पुरानी कंपनी में घर वापसी अच्छी ही लगती है। ख़ास तौर से जब पुराने साथी ही वापस आने की गुज़ारिश करें।
न्यू साउथ वेल्स बिज़नेस स्कूल की असिस्टेंट प्रोफ़ेसर अलाना रैफ़र्टी कहती हैं कि कई बार कंपनी के संस्थापक टीम लीडर, अपनी कंपनी पर बहुत गहरी छाप छोड़ जाते हैं। उनके काम करने के तरीक़े, कंपनी का हिस्सा बन जाते हैं।ऐसे में अगर वो कंपनी छोड़कर जाते हैं तो लोगों को उनकी कमी महसूस होती है। हालांकि वो ये भी कहती हैं कि वापसी करने वालों को बदले हुए हालात के हिसाब से ख़ुद में बदलाव कर लेना चाहिए, वरना नाकाम होने में देर नहीं लगती। ज़िंदगी भर की मेहनत से कमाई हुई शोहरत मिट्टी में मिल जाती है।अलाना के मुताबिक़, अक्सर घर वापसी करने वाले सीईओ सोचते हैं कि वो वैसे ही काम कर सकते हैं जैसे पहले करते थे। मगर, वक़्त के साथ कामयाबी के नुस्ख़े भी पुराने पड़ चुके होते हैं। ऐसे में इन टीम लीडर्स को ख़ुद को नए सिरे से साबित करना होता है।ब्रिटिश मिलिट्री फ़िटनेस के हैरी सोवर्बी ने इस बात को अच्छे से समझ लिया था। वापसी के वक़्त हैरी ने देखा कि बाज़ार में उनके मुक़ाबले में कई नई कंपनियां आ गई हैं। उनसे बेहतर फ़ौजी ट्रेनिंग दे रही थीं। सो हैरी ने अपनी कंपनी के बुनियादी उसूलों को फिर से ज़िंदा करने की ठानी।
मेहनत के साथ मौज मस्ती का पुराना फ़ॉर्मूला उन्होंने नए सिरे से लागू किया। इसके लिए उन्होंने पहले कंपनी के कर्मचारियों से बात की। उनकी राय लेकर उनका भरोसा जीतने की कोशिश की। इसमें उन्होंने छह महीने लगाए।