अमरीका पर इन दिनों चुनावी रंग चढ़ा है और आयोवा राज्य से अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया औपचारिक तौर पर शुरू हो चुकी है।
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों का चुनाव इस प्रक्रिया का पहला पड़ाव है।पार्टियों की कई बैठकें होती हैं। इसमें गहन विचार-विमर्श और लंबी वोटिंग प्रक्रिया के बाद डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों का चयन किया जाता है।जानिए अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया:कॉकस में पार्टी के सदस्य जमा होते हैं। स्कूलों में, घरों में या फिर सार्वजनिक स्थलों पर उम्मीदवार के नाम पर चर्चा की जाती है जिसके बाद वहां मौजूद लोग हाथ उठाकर उम्मीदवार का चयन करते हैं।वहीं प्राइमरी में बैलट के ज़रिया मतदान होता है और मत पत्र बाक़ायदा बॉक्स में डाले जाते हैं। हर राज्य के नियमों के हिसाब से वहां पर अलग-अलग तरह से प्राइमरी होती है।1. ओपन प्राइमरी: इसमें किसी भी राज्य के सभी रजिस्टर्ड वोटर, वोट कर सकते हैं और वो किसी भी उम्मीदवार को वोट कर सकते हैं।
मसलन किसी राज्य का रिपबल्किन वोटर डेमोक्रेट प्राइमरी में वोट डाल सकता है और डेमोक्रेट वोटर रिपब्लिकन प्राइमरी में।2. सेमी क्लोज़्ड प्राइमरी: इसमें सिर्फ़ पार्टी के रजिस्टर्ड वोटर ही प्राइमरी में हिस्सा लेते हैं। लेकिन इसमें निर्दलीय मतदाताओं (इंडिपेंडेंट वोटर्स) को वोटिंग का अधिकार होता है। न्यू हैंपशायर राज्य में सेमी क्लोज़्ड प्राइमरी होती है।
3. क्लोज़्ड प्राइमरी: इसमें सिर्फ़ पार्टी विशेष से जुड़े रजिस्टर्ड वोटर ही अपनी पार्टी के प्राइमरी चुनाव में वोट कर सकते हैं।
लेकिन ये प्रतिनिधि (डेलीगेट्स) कौन होते हैं?प्राइमरी और कॉकस में सीधे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को नहीं चुना जाता। पार्टी की बैठक में ये काम प्रतिनिधियों का होता है।ये प्रतिनिधि पार्टी के ही सदस्य होते हैं जो अपने उन उम्मीदवारों के लिए वोट करते हैं जिनका चयन प्राइमरीज़ में किया जाता है।ऐसा भी मुमकिन है कि कोई उम्मीदवार पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने के लिए ज़रूरी प्रतिनिधियों का समर्थन हासिल ही ना कर पाए।इस स्थिति में पार्टी के कई सम्मेलन होते हैं और फिर प्रतिनिधियों की वोटिंग के बाद उम्मीदवार का नाम तय किया जाता है।वैसे अमूमन ऐसा होता नहीं है।
बीबीसी की कैटी के कहती हैं, "आयोवा और न्यू हैंपशायर में अच्छा प्रदर्शन आगे की लड़ाई तय कर सकता है। यहां पर जीत के बाद उम्मीदवारों को ज़बरदस्त मीडिया कवरेज मिलने लगती है। इस वजह से उन्हें भरपूर प्रायोजक भी मिलने लगते हैं। आख़िर विजेता पर कौन अपना पैसा नहीं लगाना चाहता?"अमरीकी चुनाव में 'सुपर ट्यूज़डे' भी एक बेहद अहम शब्द है।
ये वो दिन है जब कई राज्य एक साथ प्राइमरी या कॉकस करवाते हैं।फ़रवरी 2008 में, 24 राज्यों ने एक साथ 'सुपर-डूपर ट्यूज़डे' में हिस्सा लिया था, जबकि 2012 में 10 राज्यों ने।इस बार एक मार्च को 'सुपर ट्यूज़डे' होगा जब 16 अमरीकी राज्यों में प्राइमरी चुनाव या कॉकस एक साथ होंगे।कॉकस और प्राइमरी गर्मियों तक जारी रहेंगे। फिर जुलाई में पार्टियों की राष्ट्रीय बैठक में औपचारिक तौर पर प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाएगा।उम्मीदवारी हासिल करने के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार को 1236 प्रतिनिधियों (डेलीगेट्स) और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार को 2383 प्रतिनिधियों (डेलीगेट्स) का समर्थन चाहिए।
Posted By: Satyendra Kumar Singh