दुनिया से सबसे गोपनीय मुल्क का दौरा वो भी ऐसे वक़्त में जब दुनिया के सबसे ताक़तवर मुल्क के साथ उसका झगड़ा चल रहा हो। किसी भी फ़ुटबॉल खिलाड़ी के लिए ये सामान्य दिन नहीं हो सकता।

इंडियन सुपर लीग में हिस्सा लेने वाली बेंगलुरू एफ़सी पिछले सप्ताह एएफ़सी कप टूर्नामेंट में प्योंगयांग 4.25 एससी से भिड़ने के लिए उत्तर कोरिया गई थी। इसे आप यूरोपा लीग का एशिया वर्जन कह सकते हैं।

 

 

जाने से पहले काफ़ी टेंशन थी

दूसरा मैच उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग के मे डे स्टेडियम में खेला गया जो 0-0 पर ड्रॉ रहा और भारतीय टीम फ़ाइनल में पहुंच गई।

लेकिन 31 साल के पारतलु इस मैच को लेकर संशकित थे। उन्होंने सोशल मीडिया के ज़रिए ये सवाल भी उठाया था कि क्या उत्तर कोरिया का दौरा करना सुरक्षित है।

इसके बाद एशियन फ़ुटबॉल कनफेडरेशन (एएफ़सी) ने उत्तर कोरिया में अपना प्रतिनिधिमंडल भेजा और कहा कि दौरा करने में कोई दिक्कत नहीं है।

पारतलु ने कहा, ''जहां जंग चल रही हो या अस्थिरता हो, वहां खेलने के लिए जाना अलग बात होती है लेकिन उत्तर कोरिया की कहानी तो बिलकुल ही अलग है।''

 

सामान खोया, फिर इंतज़ार किया

''ये एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट था लेकिन सिर्फ़ एक हवाई जहाज़ वहां खड़ा था। सामान को लेकर कोई कनफ़्यूज़न हो गया और हमें वहां दो घंटे गुज़ारने पड़े। इस दौरान सारा स्टाफ़ चला गया और लाइट भी। हम एयरपोर्ट पर अकेले थे।''

टीम को अपने मोबाइल फ़ोन और टैबलेट देने पड़े ताकि उनमें रखी तस्वीरों की जांच की जा सके। इसके अलावा सामान की तलाशी ली गई और ये भी हिदायत दी गई कि उत्तर कोरिया में तस्वीरें खींचते वक़्त वो ज़रा सावधान रहें।

''सबसे मज़ेदार बात ये थी कि उत्तर कोरिया से जुड़े कुछ मज़ाक हमने वॉट्सऐप ग्रुप पर शेयर किए थे जिनमें किम जोंग उन का ज़िक्र था। जब हम रवाना हुए थे, उससे पहले ऐसे सारे मैसेज डिलीट करने के लिए कह दिया गया था। हम वहां बैठे थे कि कब कोई आकर पकड़ ले।''

 

ना फ़ोन, ना इंटरनेट

इस दौरे में खिलाड़ी ना तो फ़ोन इस्तेमाल कर सकते थे और ना ही इंटरनेट।

''हम शाम के वक़्त होटल पहुंचे तो सोच रहे थे कि स्ट्रीट लाइट क्यों नहीं जली हैं। किसी ने बताया कि ऐसा इसलिए किया गया है कि कोई भी सैटेलाइट से प्योंगयांग को देख ना सके।''

पारतलु ने कहा, ''पहली बार जब आप होटल पहुंचते तो अहसास होता है कि ये भी दूसरी जगह की तरह है। लेकिन लॉबी में टीवी लगा था और किम जोंग तस्वीर से झांक रहे थे। जैसे ही आप दाखिल होते हैं, प्रोपेगंडा शुरू हो जाता है।''

 

स्टेडियम खाली क्यों था?

''अगर वो आपकी तरफ़ देख रहे हैं और आप उनकी तरफ़ देखें तो वो तुरंत अपनी नज़रें हटा लेते हैं। जैसे उन्हें अहसास हो गया हो कि उन्हें नहीं देखना था।''

खिलाड़ी ने कहा, ''ज़्यादा बातचीत नहीं होती थी लेकिन अगर आप हेलो कहें तो वो भी हेलों कहते थे और मुस्कुरा देते थे।''

फ़ुटबॉल का मैच विशाल मे डे स्टेडियम में खेला गया लेकिन पारतलु के मुताबिक केवल 8-9 हज़ार लोग ये मैच देखने पहुंचे थे। ''स्टेडियम काफ़ी बड़ा था, अगर पूरा भरा होता तो माहौल कुछ और होता लेकिन 9000 दर्शकों के साथ ऐसा नहीं लगा।''

 

उठते ही मिसाइल की चर्चा

ये मैच 13 सितंबर को खेला गया और टीम दो दिन बाद तक उत्तर कोरिया से रवाना नहीं हो सकी। उन्होंने कुछ ट्रेनिंग की और टूर भी, जो पारतलु के मुताबिक सेट-अप टूर थे।

शुक्रवार सवेरे उनकी आंख खुली तो पता चला कि उत्तर कोरिया ने जापान के ऊपर से बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट किया है।

उन्होंने कहा, ''होटल में छह चैनल थे जिनमें कुछ चीनी थे, एक प्रोपेगेंडा चैनल था और एक अल जज़ीरा।''

 

बहुत खूबसूरत देश है

''उत्तर कोरिया बेहद ख़ूबसूरत देश है। नीला आसमान, पेड़-पौधे, खेत और हरियाली। आपको कुछ भी अजीब नहीं लगता। अगर मैं फ़ुटबॉल ना खेल रहा होता तो कभी भी उत्तर कोरिया में दाखिल ना हो पाता।''

पारतलु ने कहा, ''मैं इस ट्रिप को कभी नहीं भूल पाऊंगा, इसलिए खुशी है कि ये मौका मुझे मिला। लोग कई साल तक इसके बारे में मुझसे पूछते रहेंगे। ज़्यादा लोग ऐसा नहीं कह सकते कि उन्होंने उत्तर कोरिया का दौरा किया है।''

 

दौरे से क्या सीखा?

''इस दौरे से सबसे बड़ा सबक मैंने ये सीखा कि जो कुछ भी ख़बरों में दिखाया जाता है, उस पर यूं ही यक़ीन मत कीजिए। एक इंसान या कुछ लोगों का समूह है, जो अजीब तरह से सोचता है। मुझे उन लोगों के लिए बुरा लगा, जो वहां मुस्कुराते हुए दिखे थे। ये सोचकर कि ये देश नक्शे से गायब हो सकता है और खामियाज़ा वहां के लोगों को भुगतना पड़ेगा, काफ़ी बुरा लगता है।''

पारतलु ने बताया, ''मैच के बाद मुझे उत्तर कोरिया की इस टीम के स्ट्राइकर ने गले से लगाया और मुस्कुराते हुए बधाई दी। खेल लोगों को करीब लाता है, इसलिए फ़ुटबॉल खूबसूरत खेल है।''

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Posted By: Chandramohan Mishra