मर्दों के हक: प्यार में अत्याचार का शिकार होने पर कैसे बचें, क्या कहता है कानून
स्टेप 1
संबधों में सावधानी बरतें और महिला द्वारा इमोशनल ब्लैक मेल के शिकार ना हों। ऐसी महिलाओं की सबसे बड़ी पहचान हें कि वो कभी रो कर कभी लड़ झगड़ कर और दवाब डाल कर अपनी बात मनवाना चाहती हैं। जब कोई महिला ये कहती है कि शादी का झांसा देकर उसका सालों तक दैहिक शोषण किया गया या कोई पुरुष दो या तीन साल से उसके साथ बलात्कार कर रहा है, तो ये बात गले के नीचे नहीं उतरती। सच तो ये जब तक किसी को जबरदस्ती सेक्स स्लेव ही ना बना लिया जो बहुत ही रेयर बात है ऐसा होना संभव नहीं है। कोई बालिग महिला इतने लंबे समय तक अपना शोषण करवाते नहीं रह सकती।समाजिक प्रतिष्ठा या अन्य कारणों से ब्लैकमेल ना हों। अपने कॉमन सेंस का प्रयोग करें और रेप की धमकी और पुलिस केस का डर दिखा कर अपने से बांधने की कोशिश करने वाली महिला से तुरंत दूर हो जायें। फेसबुक और सोशल मीडिया जैसे माध्यमों के जरिए रिश्ते मजबूत करने की ना सोचें और नाही उस पर कोई उल्टी सीधी पोस्ट या मैसेज करें। अपने व्यवाहर को सयंमित रखें और खुद भी किसी जिद्द या कमजोरी के तहत एक बेमतलब के रिश्ते में उलझते ना चले जायें।
स्टेप 2
स्टेप 3
सबसे बड़ी बात है कि ऐसे मामलों में आप एकदम मजबूर नहीं हैं, कई कानून हैं जो मर्दों की मदद के लिए भी बने हैं। इन कानूनों की जानकारी लें और उनके अनुसार धैर्श् पूर्वक अपने केस को डील करें। आईपीसी की धारा 182 के तहत अगर कोई पब्लिक सर्वेंट अपनी पॉवर्स का प्रयोग किसी व्यक्ति को झूठे मामले में नुकसान पहुंचाने के लिए करता है। या ये समझते हुए भी कि आरोपी को किसी मामले में गलत फसाया जा रहा है अपनी शक्तियों का इस्तमाल आरोप लगाने वाले के पक्ष में करता है उसे दंड दिया जा सकता है। गलती करने वाले को छह महीने की सजा, निलंबन और एक हजार रुपए का जुर्माना देना पड़ सकता है उसे जेल और नकद जुर्माना दोनों की सजा भी हो सकती है। आईपीसी की धारा 195 के तहत अगर ये साबित हो जाए कि केस झूठा था और प्रमाण भी बनाये हुए थे तो आरोप लगाने वाले को सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकता है। इसमें नकद जुर्माना भी देना पड़ सकता है। आईपीसी की धारा 193 में रेप केस में सुनवाई के दौरान किसी स्टेज पर झूठे साक्ष्य पेश करने या साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की बात साबित होने पर ऐसा करने वाले को सात साल तक की सजा और जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। आईपीसी की धारा 211 में किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा या अन्य प्रकार की हानि पहुंचाने के इरादे से गलत रेप केस करने के अपराध में दंडित करने की व्यवस्था है। ऐसे करने वाले को दो साल तक की सजा और जुर्माना या दोनों का दंड मिल सकता है। इसके अलावा इस मामले में सहयोग देने वालों के ऊपर भी परजूरी यानि किसी को नुकसान पहुंचाने के इरादे से अभियुक्त का साथ देने वालों के ऊपर भी सीआरपीसी की धारा 340 के तहत केस दर्ज हो सकता है।Relationship News inextlive from Relationship Desk