ऐसे साथ दिया इमरान हाश्ामी ने अपने 4 साल के बेटे का कैंसर की जंग में
खुद बने बैटमैन
फोन पर दूसरी ओर से खुद को बैटमैन बताते हुए उन्होंने अयान से बात की। बैटमैन का नाम सुनकर वह खुश हो गया। अब इस बैटमैन ने अयान के सामने उसकी तरह पावरफुल, लेकिन आयरन मैन बनने का प्रस्ताव रखा। वह तुरंत तैयार हो गया, लेकिन पूछा कि उसे इसके लिए करना क्या होगा।
ऐसे बनाई कहानी
इसपर इमरान उससे बोले कि उनकी बात को वह ध्यान से सुने। उसके बाद इमरान ने उस रात को याद किया जब उन्होंने अयान को अस्पताल चलने के लिए मनवाया। वह बोले कि उन्होंने उसको कहा, वह एक होटल में चेक-इन कर रहे हैं, जबकि वह एक अस्पताल में थे। उसके बाद बगल के कमरे में उन्होंने डॉक्टरों और नर्सों की बात की, ताकि अयान को न मालूम हो सके। अब जब वह उसके कमरे में वापस लौटे, तो अयान गुस्से में था अस्पताल के खाने पर। कुछ ही देर में पिज्जा और अन्य जंक फूड देखकर वह खुश हो गया। कुछ देर बाद उसने अपने पापा से एक सवाल पूछा। उसने पूछा कि क्या आज उसका बर्थडे है या फिर क्रिसमस डे है। उसने पूछा कि वह होटल क्यों आए हैं। इसपर इमरान ने जवाब दिया कि यहां वह मिलकर उसके कई सारे जन्मदिन मनाएंगे।
कहानी का अंत जरूरी है
इमरान ने बताया कि उनके चार साल के बेटे को दूसरी स्टेज का विम्स ट्यूमर था। वह कैंसर जो किडनी को प्रभावित करता है। सिर्फ बच्चों को होता है। ज्यादातर से अफ्रीकी मूल के बच्चों को होता है। इमरान ने बताया कि अब उनको अपने बेटे के कैंसर से लड़ना था। वह चाहते थे कि उनका बेटा असली बैटमैन बने। उन्होंने बताया कि उसने दर्द को सहा और हिम्मत करके कैंसर से लड़ा। अब आखिर हर कहानी का अंत होता है तो इस बैटमैन की कहानी का भी अंत होना चाहिए।
आखिर में दिया बड़ा संदेश
उन्होंने बताया कि उनमें यह बताने की हिम्मत नहीं कि कीमोथैरेपी के कई सेशन्स के बाद उसके पास सुपर पावर नहीं आने वाली है। अब फिलहाल इमरान यह किताब लिखना खत्म करके बैटमैन के रूप में उससे आखिरी बात करेंगे, क्योंकि कहानी का अंत जरूरी है। वह ये कि उसने सबकुछ सहन किया। अब वह 6 साल का हो गया है। जल्द स्कूल खत्म करके वह कॉलेज जाएगा। उस समय इमरान बूढ़े हो चुके होंगे। उस समय उसको अकेले ही इस बुरी दुनिया का सामना करना होगा, लेकिन उसकी शुरुआत अच्छी है। वह पहले ही जिंदगी की लड़ाई जीत चुका है। अब वह आसानी से सबकुछ झेल पाएगा।