उज्‍जैन में इस साल 22 अप्रैल से 21 मई तक कुंभ मेला आयोजित किया जाएगा। इस धार्मिक मेले में अघोरी कापालिक और नागा साधु आदि लोगों के आकर्षण का केंद्र होंगे। वैसे ये नागा साधु कहां रहते हैं और कहां जाते हैं यह प्रश्‍न काफी लोगों के दिमाग में उठता होगा। तो आइए आज बात करते हैं नागा साधुओं की जिंदगी से जुड़े कुछ महत्‍वपूर्ण बातों पर.....


1. सबसे पहले जांच-पड़ताल :-आम आदमी से नागा साधु बनने तक का सफर आसान नहीं होता है। जब कोई इंसान नागा साधु बनने के लिए आता है, तो अखाड़ा अपने स्तर पर उसके व उसके परिवार के बारे में जांच-पड़ताल करता है। अगर अखाड़े को ये लगता है कि वह साधु बनने के लिए सही व्यक्ित है तो ही उसे अखाड़े में प्रवेश की अनुमति मिलती है।2. ब्रह्मचर्य है पहली सीढ़ी :-अखाड़े में आने के बाद आदमी के ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है। इसमें 6 महीने से लेकर 12 साल तक लग जाते हैं। अगर अखाड़ा और उस व्यक्ित का गुरु यह सुनिश्चित कर लें कि वह दीक्षा लायक हो चुका है। तभी उसे अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है।3. अब आती है महापुरुष बनाने की बारी :-


अगर व्यक्ित ब्रह्मचर्य का पालन करने की परीक्षा में सफलतापूर्वक गुजर जाता है। तो उसे ब्रह्मचारी से महापुरुष बनाया जाता है। उसके पांच गुरु बनाए जाते हैं। ये पांच गुरु पंच देव या पंच परमेश्वर (शिव, विष्णु, शक्ित, सूर्य और गणेश) होते हैं।4. स्वंय का पिंडदान व श्राद्ध :-

महापुरुष के बाद नागाओं को अवधूत बनाया जाता है। इसमें सबसे पहले अपने बाल कटवाने होते हैं। अवधूत रूप में साधक स्वंय को अपने परिवार और समाज के लिए मृत मानकर अपने हाथों से अपना श्राद्ध कर्म करता है। ये पिंडदान अखाड़े के पुरोहित करवाते हैं।11. किसी की निंदा न करना :-बस्ती से बाहर निवास करना, किसी को प्रणाम न करना और न किसी की निंदा करना नागा साधुओं की दिनचर्या में शामिल है। यह केवल संन्यासी को ही प्रणाम कर सकते हैं। 12. नागाओं के पद एवं अधिकार :-एक बार नागा साधु बनने के बाद उनके पद और अधिकार भी बढ़ जाते हैं। नागा साधु के बाद महंत, श्रीमहंत, तमातिया महंत, थानापति महंग, पीर महंत, दिगंबरश्री, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर जैसे पदों तक जा सकते हैं।inextlive from Spark-Bites Desk

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari