एक 'छोटे' हथियार ने लास्ट US विमान को सुरक्षित निकाला, काबुल एयरपोर्ट पर कब्जे की खुशी में तालिबान ने दागी गोलियां
कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। काबुल में हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अमेरिकी ग्राउंड फोर्सेज को निशाना बना कर आईएसआईएस-के ने राॅकेट से हमले किए। हालांकि ये राॅकेट लक्ष्य तक पहुंचने से पहले हवा में ही नेस्तनाबूद हो गए। इतना ही नहीं काबुल एयरपोर्ट में अमेरिकी सैन्य बलों के कैंप अंतिम दिन तक न सिर्फ सुरक्षित रहे बल्कि अभियान समेट कर उनका अंतिम विमान भी काबुल के आसमान में देखते ही देखते सुरक्षित ओझल हो गया। यह सब उनके एक शाॅर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम का कमाल था।
I announce the completion of the withdrawal of US troops from Afghanistan and the end of the military mission to evacuate American citizens and Afghans... The last C-17 lifted off from Hamid Karzai Airport on August 30 this afternoon at 3:29 pm: US General Kenneth F. McKenzie pic.twitter.com/9pdokcEqBe — ANI (@ANI)
आयरन डोम के बाद एयर डिफेंस का नया सिस्टम
2012 में गाजा पट्टी से इजरायल पर राॅकेट हमला नाकाम करने में शाॅर्ट रेंज राॅकेट डिफेंस सिस्टम 'आइरन डोम' को अपार सफलता मिली थी। इसके बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा ने कहा था कि आइरन डोम युद्ध शुरू नहीं करता बल्कि युद्ध से बचाता है। नौ साल बाद अमेरिका ने एक अन्य काउंटर राॅकेट टेक्नोलाॅजी का इस्तेमाल किया है। इस बार इसकी मदद से इसने अपनी ही सेना को काबुल एयरपोर्ट पर हमलों से बचाया। इस सिस्टम की मदद से ही वह अफगानिस्तान से अमेरिका एक लंबे युद्ध के बाद सुरक्षित बाहर निकल सका।
कैसे काम करता है नया एयर डिफेंस सिस्टम
इंडियन नैरेटिव डाॅट काॅम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, काबुल एयरपोर्ट पर राॅकेट दागे जाने के दौरान खुद की रक्षा में अमेरिकी सेना ने काउंटर राॅकेट आर्टिलरी तथा मोर्टार सिस्टम या दूसरे शब्दों में कहें तो सी-रैम पर भरोसा किया। अमेरिकी सेना के मुताबिक, सी-रैम को वे 'सिस्टमों का सिस्टम' कहते हैं। यह अपनी ओर आने वाले राॅकेट या तोप तथा मोर्टार से दागे गए गोलों की पहचान करके उसे हवा में ही मार गिराता है। अमेरिकी ग्राउंड फोर्सेज ने इराक तथा अफगानिस्तान में इस एयर डिफेंस सिस्टम का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया।
अंतिम विमान उड़ते ही तालिबान की फायरिंग
20 वर्ष बाद 30 अगस्त की आधी रात अफगानिस्तान से अमेरिकी अभियान खत्म होने तथा काबुल से अंतिम विमान निकल जाने के बाद तालिबान ने मंगलवार को हवा में दनादन गोलियां दाग कर अपनी खुशी का इजहार किया। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सुरक्षा बलों का अंतिम सी-17 विमान के हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से आधी रात में उड़ जाने के बाद काबुल बंदूकों की गोलियों की आवाज से गूंज उठा। पेंटागन में न्यूज ब्रीफिंग के दौरान अमेरिकी सेंट्रल कमांड के हेड जनरल केनेथ मैकेंजी ने अफगानिस्तान से अमेरिकी अभियान खत्म होने की औपचारिक घोषणा की।
सिक्स बैरल गन से 20 एमएम की गोलियों की बौछार
सी-रैम मल्टीपल लेयर डिटेक्शन का इस्तेमाल करके दुश्मन के भेजे हथियार को पहचान करके हवा में ही नेस्तनाबूद कर देता है। एक ह्यूमन ऑपरेटर टारगेट को प्रमाणित कर देता है। इसके बाद सिस्टम तेज आवाज में अलार्म बजने लगता है। इससे सैनिकों को बचाव की कार्रवाई का मौका मिल जाता है। इसके बाद सी-रैम से अटैच सिक्स बैरल गन टारगेट की ओर लक्ष्य करके 20 एमएम की गोलियों की बौछार करके उसे हवा में ही तबाह कर देती है। ये गोलियां खुद भी ब्लास्ट होकर टारगेट को हवा में विस्फोट कर देती हैं, जिससे जमीन पर कम नुकसान होता है। केटलीन केनी ने 2012 में लिखा था कि नई तकनीक किस प्रकार से डिफेंस रणनीति बदल रही है।
मिलिट्री एनालिसिस नेटवर्क ने गिराए सात काम
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स की मिलिट्री एनालिसिस नेटवर्क (एमएएन) ने सी-रैम के सात काम काे चिह्नित किया है। इनमें पहला है सेंस यानी महसूस करना, दूसरा वार्न करना यानी चेतावनी देना, तीसरा रेस्पांड यानी प्रतिक्रिया करना, चौथा इंटरसेप्ट बोले तो पीछा करना, पांचवां कमांड एंड कंट्रोल यानी संपूर्ण नियंत्रण, छठ एवं सातवां शेप एंड प्रोटेक्ट यानी कवच तथा बचाव करना। इस 'सिस्टम्स ऑफ सिस्टम' अप्रोच वाले सी-रैम के पूरी तरह विकसित तथा इंटीग्रेट होने के बाद अप्रैल 2005 में परीक्षण किया गया था। इसी सिस्टम ने काबुल एयरपोर्ट को निशाना बनाकर दागे गए राॅकेट को हवा में मार गिराया था। पिछले सालों से अमेरिकी सैन्य बल हवा में इसकी क्षमता बढ़ाने तथा मिसाइल डिफेंस को लेकर काम कर रही है।
C-RAM at night pic.twitter.com/o3qgaaZBOM
— Farzin (@mortred_97)