'कई बार मुझे कुत्तों का खाना दिया जाता था...'
ज़्यादातर लोगों की शिकायत है कि उनसे ज़्यादा काम लिया जाता है और कम वेतन दिया जाता है.इन्हीं लोगों में से एक हैं सेसिलिया बेंसन. सेसिलिया साल 2008 में फिलिपींस से अमरीका आई थीं अच्छे भविष्य का सपना लेकर. उन्हें अच्छी नौकरी का वादा किया गया था.लेकिन उनका आरोप है कि जब उन्होंने मॉरिशस के राजदूत सोमदत्त सोबोरन के घर में काम करना शुरू किया तो उन्हें पूरा वेतन नहीं दिया गया और अक़सर भूखा रखा जाता था.सेसिलिया कहती हैं, "मैं कुत्तों के लिए चिकन पकाती थी और कई बार मुझे कुत्तों का ही खाना दे दिया जाता था."सेसिलिया कहती हैं कि वह दिन में 17 घंटे तक काम करती थीं और उन्हें कभी कभार ही घर से बाहर जाने दिया जाता था.
उनका कहना है, "वो मुझे एक दिन की भी छुट्टी नहीं देते थे, वो कहते थे कि मैं नहीं चाहता कि तुम अजनबी लोगों से बात करो क्योंकि तुम यहां मेरे लिए काम करने आती हो. एक महीना काम के बाद उन्होंने वेतन दिया लेकिन पूरा नहीं. जब मैंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट तो ऐसा नहीं है तो उन्होंने कहा कि तुम यहां मेरी वजह से हो, तुम्हें विमान का किराया देना है."'निजी ज़िंदगी में कुछ और चेहरा'
लिया ओबिया कहती हैं, "ये वे सरकारी अधिकारी हैं जिन्हें नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की ज़िम्मेदारी मिली है, इनमें से कई लोग मानवाधिकार समितियों में हैं. इसलिए लोगों को हैरानी होती है जब वे ये सुनते हैं कि राजनयिकों का निजी ज़िंदगी में चेहरा कुछ और ही है और वे मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं."संगीता रिचर्ड्स के समर्थन में घरेलू कर्मचारियों ने शुक्रवार को न्यूयॉर्क में प्रदर्शन भी किया. राजनयिक देवयानी खोबरागड़े से कथित दुर्व्यवहार के बाद भारत में अमरीका के ख़िलाफ़ नाराज़गी है. हालांकि देवयानी आरोपों से इनकार कर रही हैं और अभी ज़मानत पर रिहा हैं.लेकिन इन घरेलू कर्मचारियों की मांग है कि इसे विदेशी नीति का मुद्दा न बनाकर उनके अधिकारों पर ध्यान दिया जाए.