होली 2019: भद्रा के समय न करें होलिका दहन, जानें मुहूर्त, पूजा सामग्री और पूजन विधि
होलिका दहन 20 मार्च 2019 दिन बुधवार को उत्तरा फाल्गुनी के शुभ योग में करें। ज्योतिष शास्त्र मुर्हूत ज्ञान के अनुसार, प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन निशा मुख में होलिका दहन शुभ फलदायक होता है। होलिका दहन के लिए भद्रा का विचार विशेष किया जाता है, भद्रा रहित समय में होलिका दहन करना शुभ रहता है। किसी भी अवस्था में होलिका दहन भद्रा के मुखकाल में नहीं किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त चतुर्दशी तिथि, प्रतिपदा एवं सूर्यास्त से पहले भी होलिका दहन नहीं किया जाना चाहिए।
इस वर्ष 2019 में भद्रा काल रात्रि 08ः59 बजे तक रहेगा। यह भद्रा काल लगभग सभी प्रदेशों में इतने बजे तक ही रहेगा। अतः होलिका दहन का समय भद्रापरान्त रात्रि 08ः59 बजे से अर्द्धरात्रि 11ः30 बजे तक शुभ-अमृत की बेला में करना शुभ रहेगा। तदोपरान्त प्रातः काल 03ः54 से 04ः54 बजे तक (21.03.2019) सामान्य शुभ रहेगा।होलिका पूजा और दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका पूजन मुहूर्त- सूर्योदय से प्रातः 09:40 बजे तक लाभ अमृत की बेला में होलिका दहन मुहूर्त— रात्रि 08:59 बजे से रात्रि 11:30 बजे तक श्रेष्ठ शुभ-अमृत की बेला मेंसामान्य शुभ मुहूर्त— रात्रि 03:54 से 04:54 तक (21.03.2019) होलिका पूजन सामग्री
एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गन्ध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेंहू की बालियां आदि।
होलिका दहन की पूजाहोलिका दहन करने से पहले होली की पूजा की जाती है। इस पूजा को करते समय पूजा करने वाले को होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ कर होलिका पूजन करना चाहिए।बड़गुल्ले की बनी हुई चार मालाएं इनमें से एक पितरों के नाम की, दूसरी हनुमानजी के नाम की, तीसरी शीतला माता के नाम की तथा चौथी माला अपने घर परिवार की होलिका को समर्पित कर कच्चे सूत की तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें। फिर लोटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी वस्तुएं होली को समर्पित करें। गन्ध और पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन करें।पूजन के बाद जल से अध्र्य दें तथा सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका में अग्नि प्रज्वलित करें। सार्वजनिक होली से अग्नि लाकर घर में बनाई गई होली में अग्नि प्रज्वलित करें। होली की अग्नि में सेंककर लाए गए धान्यों को खाएं, इसके खाने से निरोगी रहने की मान्यता है।— ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
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