Holi 2020 Shubh Muhurat and Puja Vidhi: होली का पर्व फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को कश्यप ऋषि के औरस और अदिति के गर्भ से एवं अनुसुया के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। अत: सूर्योदय के समय आदित्य का चंद्रोदय के समय चंद्रमा का विधिवत पूजन करें व होलिका दहन को गायन वादन और नृत्य से पूरी रात जागरण करें।

Holi 2020 Shubh Muhurat and Puja Vidhi: 9 मार्च 2020 को पूर्णिमा सूर्योदय से रात्रि 11:18 तक है। अत : होलिका दहन सांय काल को प्रदोष के बाद 9:18 बज से रात्रि 11:18 बजे तक होलिका दहन राष्ट्र व लोगों के लिए समृद्धशाली होगा। होलिका दहन के दर्शन से राहु- केतु और शनि के दोषों से मुक्ति मिलेगी। होली के दिन द्वापर युग में विष्णु अवतार श्री कृष्ण ने पूतना राक्षसी के विषयुक्त दुग्धपान के समय राक्षसी पूतना का वध कर दिया था। वह समय फाल्गुन मास की पूर्णिमा का था।

होलिका पूजन की विधि

रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, हल्दी, बताशे और बल्ला, एक लोटा जल, ये सभी सामग्री होलिका दहन वाले स्थान पर एक थाली में रखें। इस दौरान अपना नाम, पिता का नाम गोत्र का नाम और भगवान गणेश का नाम ध्यान करें। तत्पश्चात मां अम्बिका, भगवान विष्णु और भोलेनाथ का ध्यान करें। भक्त प्रहलाद का नाम लें और फूलों से पूजन करें। हाथ जोड़ कर मानसिक रुप से समस्त मनोकामनाएं मांगे और अंत में जल रही होली पर लोटे में जल लेकर उसे होलिका में चढ़ाएं। फिर उस होलिका की राख को अपने घर ले जाएं।

युधिष्ठिर ने नारद को दिया था अभयदान

भविष्य पुराण के अनुसार युधिष्ठिर ने नारद के कहने पर फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका पूजन के समय अभयदान दिया था ताकि सभी पूरे उल्लास के साथ होली मनाएं। होली को काम दहन पर्व भी कहा जाता है। इस दिन एक और कथा प्रचलित है कि देवाधिदेव- महादेव ने तपस्या में बाधा डालने पर तीसरी आंख खोलकर कामदेव को भष्म कर दिया था।

- पंडित दीपक पांडेय

Posted By: Vandana Sharma