आपको नहीं है खबर, लेकिन आपका फेसवाश है जानलेवा!
ऐसी है जानकारी
बताया गया है कि स्नानघर में इस्तेमाल किए जा रहे छोटे-छोटे घर्षण वाले माइक्रोबीड्स के उत्पाद, जैसे फेस वॉश, बॉडी स्क्रब और टूथपेस्ट में भी घर्षण के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसको किसी भी तरह से बायोग्रेड नहीं किया जा सकता। करोड़ों-अरबों की संख्या में ये नन्हे माइक्रोबीड्स शरीर पर इस्तेमाल होने के बाद पानी के जरिए बाहर के वातावरण में जाकर मिल जाते हैं। ये इतने छोटे होते हैं कि पानी को फिल्टर करने वाले सिस्टम भी इनको ट्रैक नहीं कर पाते हैं।
ऐसे होते हैं खतरनाक
अब क्योंकि ये बेहद छोटे होते हैं तो पानी के जरिए ये जब किसी न किसी माध्यम से बड़े जलाशयों में जाकर मिलते हैं और उसके बाद मछलियों व अन्य जलीय प्राणीयों के लिए उनका आहार बन जाते हैं। इसके बाद ये इनको तो नुकसान पहुंचाते ही हैं, साथ ही जब आप कोई सी-फूड खाते हैं तो ये आपके शरीर को भी उनके माध्यम से उतना ही नुकसान पहुंचाते हैं।
स्टडी में हुआ ये साफ
ये माइक्रो प्लास्टिक बीड्स अन्य टॉक्सिन्स को भी अपनी ओर आकर्षित करते हैं और उन्हें वातावरण के लिए और अधिक घातक बनाते हैं। प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित हुए एक स्टडी के अनुसार ये पाया गया कि ये माइक्रोबीड्स हमारे लार्वा को अन्य रूपों में परिवर्तित करके हमारे शरीर के लिए उसे और भी ज्यादा घातक बनाती है।
यहां हो चुका है बैन
2015 के अंत में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक बाईपार्शियन बिल साइन किया, जिसमें उन्होंने कॉस्मेटिक्स कंपनियों के लिए उनके प्रोडक्ट में माइक्रोबीड्स का इस्तेमाल करने को गैरकानूनी घोषित कर दिया। वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलियन गर्वनमेंट ने तो 2018 तक के लिए सीधे तौर पर माइक्रोबीड्स को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया।
अभी भी हो रहे हैं इस्तेमाल
इतनी स्टडी होने के बावजूद अभी भी कई देश ऐसे हैं, जिन्होंने माइक्रोबीड्स को प्रतिबंधित नहीं किया है। वे अभी भी धड़ल्ले से इनको इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके कारण अभी भी कई जलीय प्राणी खतरे का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में ये कहा जाना काफी हद तक मुनासिब होगा कि अगर आप माइक्रोबीड्स वाले प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल करना बंद नहीं करेंगे तो आप अपने इर्द-गिर्द मछलियों को भी सोचना छोड़ दीजिए।