क्या हिंदुस्तान की राजनीति में शादी आउट ऑफ ट्रेंड है, ये हैं बैचलर्स ऑफ इंडियन पालिटिक्स
हालाकि इन दिनों पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी बीमारी और बढती आयु के चलते राजनीति से पूरी तरह बाहर हैं, परंतु आधुनिक भारतीय राजनीति में पहले कामयाब बैचलर ऑफ पालिटिक्स यानि अविवाहित सफल राजनीतिज्ञ वो ही रहे हैं। अटल जी ने राजनीति में कामयाबी के वो कीर्तिमान स्थापित किए कि कवा ही चल गयी कुंवारों की कामयाब कहानी की।
अटल बिहारी के दौर में ही राजनीति के फलक पर एक और नाम कामयाबी के साथ चमक रहा था। वो नाम था तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का। अम्मा के नाम से पहचानी जाने वाली जयललिता ने भी शादी नहीं की है और वे राजनीति के मैदान पर लगातार कामयाबी की इबारत लिख रही हैं।
सर्बानंद सोनोवाल
इस समय देश के तीन राज्यों के मुख्यमंत्री कुवारे हैं। इस फेहरिस्त में पहला नाम है आसाम के नवनियुक्त मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का। आसाम के राजनीतिक हल्कों में सर्बानंद की पहचान बेहद करिश्माई, डायनेमिक और फायरब्रांड राजनीतिज्ञ के रूप में की जाती है। प्रदेश विधान सभा चुनावों में भाजपा की विजय का मुख्य कारण सोनोवाल का नेतृत्व ही था, ऐसा मानने वालों की कमी नहीं है। फुटबॉल और बैडमिंटन के खिलाड़ी सर्बानंद असम गण परिषद के स्टूडेंट विंग ऑल असम स्टूडेंट यूनियन और पूर्वोत्तर के राज्यों में असर रखने वाले नॉर्थ इस्ट स्टुडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष रह चुके हैं। भाजपा में जुड़ने से पूर्व असम गण परिषद के सदस्य थे। उन्हें असम का जातीय नायक भी कहा जाता है। वर्ष 2001 में वे असम गण परिषद के उम्मीदवार के रूप में सर्वप्रथम विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा वर्ष 2004 में प्रथम बार लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
पश्चिम बंगाल की जमीन से भी एक नाम राजनीति के फलक पर काफी तेजी से जगमगा रहा है और वो नाम है दीदी के नाम से मशहूर वहां की मुयख्मंत्री ममता बनर्जी का। अब ये कुंवारे होने का कमाल कहिए या ममता के तेवर पर सच्चाई यही है कि कुंवारी दीदी राजनीति के मैदान पर बहुतों से आगे हैं।
राहुल गांधी
45 साल की उम्र पार कर चुके कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भले आज भी युवा नेता और राजनीति के मोस्ट एलिजबल बैचलर कहे जाते हों पर, वे खुद ही कह चुके हैं कि उनके जहन में अब भी शादी की कोई प्लानिंग नहीं है। कमाल की बात तो ये है कि जब तक राहुल की जिंदगी में किसी महिला की मौजूदगी की बात कही जाती रही तब तक उनके राजनीतिक करियर ने कोई गति नहीं पकड़ी थी। जब से वो सक्रिय राजनीति में आये उनकी जिंदगी में महिला की मौजूदगी की चर्चा गायब हो गयी।
आखिरी में बात उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की जिन्होंने भले ही बसपा के संस्थापक काशीराम के सहारे से अपना करियर शुरू किया हो लेकिन आज वो अपनी पार्टी की सर्वेसर्वा बन चुकी हैं। कुंवारी मायावती की कामयाबी कहानी अगर वो शादीशुदा होतीं तो कैसी होती इसका अंदाजा लगाना किसी के लिए संभव नहीं है, लेकिन शादी के बिना उनकी कामयाबी का सफर सबके सामने हैं।Interesting News inextlive from Interesting News Desk