क्या आपने 'ध्यान' के बारे में नवीनतम अध्ययन को पढ़ा है? शायद नहीं क्योंकि जब तक इस लेख को आप पढेंगे तब तक इस बारे में कोई और लेख आ चुका होगा.


रिपोर्टों के अनुसार - ध्यान से ऊर्जा बढ़ती है, एकाग्रता बढ़ाने में मदद मिलती है, तनाव और चिंता दूर होती है, लचीलापन बढ़ता है और संभवतः आपके जीवन और आपके दिमाग़ में सकारात्मक बदलाव आते हैं.बेशक, हर व्यक्ति को ध्यान की ताक़त में विश्वास नहीं है, लेकिन यदि आप विश्वास कर भी लें तो सबसे बड़ी बाधा है अपनी दिनचर्या में इसे जगह देना.काम से न केवल तनाव होता है, बल्कि तनाव से काम भी प्रभावित होता है. एक तनावग्रस्त, दुखी कर्मचारी अच्छा काम नहीं कर सकता है.सिर्फ़ ध्यान से आप निगेटिविटी (नकारात्मकता) को संतुलित कर सकते हैं और ऑफ़िस को एक ज्यादा शांत, रचनात्मक एवं उद्यमशील जगह बना सकते हैं.
दूसरा, अगर आप मेरी तरह हैं, तो आप घर की व्यस्त दिनचर्या में ध्यान या किसी अन्य बात को फिट नहीं कर सकते, ख़ासकर अगर आपकी पत्नी और बच्चे हैं और आपको पहले ही अपने पसंदीदा काम के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता.मेरे लिए इसका निदान यह था कि मैं ध्यान की प्रैक्टिस अपने ऑफ़िस में ही करूं: एक ऐसी जगह जहां मैं सप्ताह में पांच दिन जाता हूँ और जहां ध्यान की सर्वाधिक ज़रूरत है.


यदि मुझे ऑफ़िस में ही ध्यान लगाना था, तो फिर मेरे लिए अगला सवाल था कि वहाँ इसे संभव कैसे बनाया जाए.अपनी इस इच्छा के बारे में जिस व्यक्ति को मैंने सबसे पहले बताया वह था मैरे ऑफ़िस का मैनेजर.मैंने उसे ईमेल किया, "आपको यह एक अस्वाभाविक आग्रह लग सकता है, पर मुझे आपकी मदद की जरूरत है. मुझे अपने ऑफ़िस में एक ऐसा कमरा चाहिए, जिसमें शीशे नहीं लगे हों और मैं हर दिन 15 मिनट तक इसका इस्तेमाल कर सकूं. मैं ध्यान के लिए इस कमरे का प्रयोग करना चाहता हूं."मैनेजर मेरे आग्रह से थोड़ा उलझन में पड़ गया. उसने मुझे कई जगहें दिखाईं और फिर मैंने कभी-कभार इस्तेमाल में आने वाले 'ग्रीन रूम' को चुना. यह सर्वाधिक उपयुक्त कमरा था: छोटा, शांत, इसमें दो कुर्सियां थीं और कोई फोन नहीं था.समय निकालनाज़रूरी है कि आप इसे सामान्य और आसान बनाए रखें. मैंने एक व्याख्यान में हिस्सा लिया, जहाँ ध्यान की तकनीक सिखाई जाती है. उन्होंने खुद के लिए एक दिन में 'एक अच्छी सांस' लेने का लक्ष्य निर्धारित करने की सलाह दी.

मक़सद इस बात को समझना है कि थोड़ा प्रयास भी बड़ा अंतर पैदा कर सकता है. अगर आपको इसमें आनंद आता है तो आप स्वाभाविक रूप से खुशी-खुशी यह अभ्यास लंबे समय तक करेंगे.यदि आपने पहले ध्यान नहीं किया है और आप इसे शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए पर्याप्त पुस्तकें, लेख और निःशुल्क वीडियो उपलब्ध हैं.कुछ पुस्तकें आपके लिए इसमें मददगार साबित हो सकती हैं:द मिरेकल ऑफ़ माइंडफुलनेस, लेखक - थिच न्हाट; इस पुस्तक में एक पूरा अध्याय ध्यान पर है और कई तो इतने छोटे हैं कि 10 सांसों में ख़त्म हो जाएं. यह पुस्तक बहुत ही उपयोगी है.वन मोमेंट मेडिटेशन, लेखक – मार्टिन बोरोसोन: यह गाइड इस पर आधारित है कि आपको सिर्फ एक मिनट का समय निकालना है. छोटे अध्याय आपको अपने उस मिनट का भरपूर फायदा उठाने का मौका देते हैं. और जब आप इसे साध लेते हैं तो यह 'पावर मिनट' एक 'पावर मोमेंट' में बदल जाता है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh