बांग्लादेश दंगे: हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए हेल्पलाइन
हमलों की जानकारी इकट्ठा करने के लिए राजधानी ढाका में एक हेल्पलाइन की स्थापना की है. हेल्पलाइन का मक़सद है ऐसे हमलों की जानकारी इकट्ठा कर उन्हें सरकार के पास भेजना. हेल्पलाइन नंबरों को बांग्लादेश में मुख्य अखबारों में भी छापा गया है.
इस हेल्पलाइन को ढाका के पुराने इलाकों में दो संस्थाओं ने मिलकर स्थापित किया है – बांग्लादेश पूजा सेलेब्रेशन काउंसिल और हिंदू, बौद्ध, ईसाई एकता परिषद ने.
महत्वपूर्ण है कि बांग्लादेश में युद्घ अपराधों की जाँच के लिए गठित ट्रायब्यूनल ने गुरुवार को जमात-ए-इस्लामी पार्टी के वरिष्ठ नेता दिलावर हुसैन सईदी को 1971 के मुक्ति संग्राम में दौरान किए गए युद्घ अपराधों के लिए मौत की सज़ा सुनाई थी.
इस फैसले का उनके विरोधियों ने स्वागत किया लेकिन जमात-ए-इस्लामी पार्टी का कहना है कि ट्रायब्यूनल का रवैया उनकी पार्टी के खिलाफ़ पक्षपातपूर्ण है. सईदी तीसरे ऐसे नेता हैं जिन्हें युद्घ अपराध ट्रायब्यूनल ने सज़ा सुनाई है. जिन लोगों को अब तक सज़ा सुनाई गई है, सईदी उनमें सबसे वरिष्ठ है.
हिंसा
इस फैसले के बाद बांग्लादेश के कई हिस्सा में हिंसा भड़क गई जिसमें कम से कम 40 लोग मारे जा चुके हैं. बीबीसी ढाका संवाददाता अकबर हुसैन के मुताबिक हिंसा में मारे गए ज्यादातर लोगों का ताल्लुक जमात-ए-इस्लामी संगठन से हैं.
उन्होंने बताया कि हिंसा में दो हिंदू भी मारे गए हैं जिनमें एक पुजारी था. चौधरी के अनुसार जिन हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुँचा है, वो हैं चिटगांग का ऋषिधाम मंदिर, बेगमगंज का जगन्नाथ मंदिर और एक दुर्गामंदिर. हांलाकि इन आंकड़ों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है.
प्रदर्शन
सुब्रतो चौधरी ने बताया कि हिंसा से हुए नुकसान की ओर सरकार का ध्यान खींचने के लिए उनका संगठन प्रदर्शन आयोजित कर रहा है. अकबर हुसैन ने बताया कि बांग्लादेश में इससे पहले भी अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमले हो चुके हैं और कई बार हिंदुओं को भारत का रुख करना पड़ा है.
बीबीसी से बात करते हुए अवामी लीग नेता साधना हल्दर ने अल्पसंख्यकों पर हुई हिंसा पर अफसोस जताया. उन्होंने कहा कि जब भी बांग्लादेश में अस्थिरता आती है, अल्पसंख्यक खासकर हिंदू हमलों का सबसे पहला निशाना होते हैं.अकबर हुसैन के अनुसार उन्हें पुलिस अधिकारियों ने बताया है कि जमात नेता को मृत्युदंड दिए जाने के बाद पार्टी नेता और कार्यकर्ता इस पूरे मामले को कथित तौर पर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं. उधर विपक्षी बांग्लादेश नेशनल पार्टी नेता खालिदा जिया ने मंगलवार को देशव्यापी हड़ताल का आह्वाहन किया है.जनवरी में जमात के पूर्व नेता अबुल कलाम आजाद को मानवता के ख़िलाफ अपराध सहित आठ आरोपों में दोषी पाया गया था और मौत की सज़ा सुनाई गई थी. हालांकि ये मुकदमा उनकी गैर मौजूदगी में चलाया गया था.
इस विशेष अदालत का गठन 2010 में मौजूदा सरकार ने किया था. इसका मकसद 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश में शामिल रहे लोगों पर मुकदमा चलाना है.
लेकिन मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि ये ट्रिब्यूनल अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं है. जमात और बीएनपी का आरोप है कि सरकार ने राजनीतिक बदला लेने के लिए इस ट्रिब्यूनल का गठन किया है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मुक्ति संग्राम के दौरान 30 लाख से अधिक लोग मारे गए थे.