अब हेल्थ इंश्योरेंस कैशलेस क्लेम 3 घंटे में होगा क्लीयर, बदले हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम के 3 नियम
कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Health Insurance Cashless Claim: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी धारकों के लिए गुड न्यूज है। अब उन्हें इलाज के लिए कैशलेस पेमेंट के लिए हॉस्पिटल के झंझटों को झेलना नहीं पड़ेगा क्योंकि, इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कैशलेस पेमेंट के प्रोसेस में चेंज्स किये है। जिसकी जानकारी इंस्टीट्यूट ने सर्कुलर जारी कर दी है, साथ ही कंज्यूमर की सुविधा के लिए कुछ और बदलाव भी किये है। जिससे इलाज के दौरान उन्हें बिना किसी परेशानी के पैसों की पेमेंट करने में कोई दिक्कत न हो।
IRDAI के मास्टर सर्कुलर में क्या-क्या?
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 29 मई 2024 को एक मास्टर सर्कुलर जारी किया। जिसमें कहा गया कि इंश्योरेंस करने वाली कंपनी को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज रिसीप्ट मिलने के 3 घंटे के अंदर ही बीमा धारक को कैशलेस भुगतान हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को देना होगा। इस स्थिति में पॉलिसी होल्डर को हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने का इंतजार नहीं करना होगा। अगर पॉलिसी होल्डर को डिस्चार्ज करने में 3 घंटे से ज्यादा की देरी होती है, तो हॉस्पिटल लिया गया कोई भी एक्स्ट्रा चार्ज खुद वो इंश्योरेंस कंपनी को देगी और पॉलिसी होल्डर के ऊपर इसका बोझ नहीं डाला जा सकता ।
पॉलिसीधारक की मृत्यु की स्थिति में
आईआरडीएआई ने अपने सर्कुलर में बताया है कि अगर किसी भी पॉलिसीहोल्डर की मौत इलाज के समय हॉस्पिटल में हो गई, तो इस स्थिति में कंपनी को क्लेम के भुगतान के लिए तुरंत प्रक्रिया को शुरू करना होगा। साथ ही जिसकी मौत हुई उसकी बॉडी को हॉस्पिटल से जल्द रिलीज करना होगा।
इस सर्कुलर में (IRDAI)के मुताबिक पॉलिसीहोल्डर को अपना भुगतान 100 प्रतिशत कैशलेस में करा सकते है। वहीं इमरजेंसी की स्थिति में बीमाकर्ता को एक घंटे के अंदर ही कैशलेस भुगतान पर तुरंत डिसाइड करना होगा। इसके साथ ही आईआरडीएआई ने इंश्योरेंस कंपनियों को आदेश दिये कि, 31 जुलाई 2024 तक इस काम को पूरा करें। साथ ही लोगों की सुविधा के लिए इंश्योरेंस कंपनियां हॉस्पिटल में अलग से एक डेस्क बनाएं, जिससे लोगों के लिए कैशलेस भुगतान की प्रक्रिया आसानी से हो सकें। अन्य कुछ बदलाव
आईआरडीएआई ने बदलाव के साथ इंश्योरेंस करने वाली कंपनी से कहा कि, वो समाज के हर उम्र के लोगों के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी बनाए। इसके साथ ही अगर कोई पॉलिसी धारक अपनी हेल्थ पॉलिसी को बीच में कैंसिल करना चाहता हो, तो उसकी पॉलिसी के तहत जमा राशि का आनुपातिक प्रीमियम का रिफंड मिल सकें।