आयुष्‍मान खुराना और मिथुन चक्रवर्ती जैसे स्‍टारों से सजी विभु पुरी की फिल्‍म 'हवाईजादा' काफी अलग तरह की फिल्‍म है. बॉलीवुड में प्रचलित मसाला फिल्‍मों के बीच में इस तरह की पीरियड फिल्‍म बनाना अपने आप में चैलेंज है. डायरेक्‍टर विभु पुरी ने इस मुश्किल और गंभीर विषय को फिल्‍मी पर्दे पर उतारने की पूरी कोशिश की लेकिन उनकी यह कोशिश कई जगह विफल होती नजर आई. फिलहाल आयुष्‍मान जैसे नये स्‍टार के लिये इस तरह की फिल्‍में करना उनके करियर पर बैरियर खड़े कर सकता है. तो आइये पढ़ें फिल्‍म का रिव्‍यू...

खो जाता है हवाईजादा
फिल्‍म हवाईजादा में 19वीं शताब्‍दी में हुई सच्‍ची घटना को फिल्‍माया गया है. फिल्‍म की कहानी में साल 1895 के एक इंडियन साइंटिस्‍ट शिवकर बापूजी तलपड़े का जीवन प्रदर्शित किया गया. जैसा कि बताया जाता है कि, राइट ब्रदर्स द्वारा पहला हवाई जहाज बनाने के 8 साल पहले ही शिवपुरी तलपड़े ने इसकी खोज की थी. हालांकि उस दौरान अंग्रेजों की तानाशाही और आपसी मतभेद के चलते शिवपुरी को यह उपलब्धि हासिल नहीं हो पाई. फिलहाल फिल्‍म की कहानी शिवपुरी (आयुष्‍मान खुराना) की जिद से शुरु होती है, जो सबसे पहला हवाई जहाज बनाकर हवाईजादा बनना चाहता है. शिवपुरी की यह जिद घरवालों को रास नहीं आती और वह घर से निकाल दिया जाता है. अपनों से दूर हो जाने के बाद शिवपुरी की मुलाकात होती है अपनी ही तरह के सनकी और जिद्दी शाश्‍त्री यानी (मिथुन चक्रवर्ती) से. इसके बाद शास्‍त्री और शिवपुरी की यह जोड़ी एक नई कहानी लिखने का प्रयास करती है. इसी बीच शिवपुरी के जीवन में गर्लफ्रेंड (पल्‍लवी शारदा) की इंट्री होती है. हालांकि पल्‍लवी इस फिल्‍म के लिये कितनी जरूरी है, इसका फैसला आप फिल्‍म देखकर कर सकते हैं.

Hawaizaada

U: Drama
Director: Vibhu Puri
Cast: Ayushmann Khurrana, Pallavi Sharda, Mithun Chakraborty


पुराने में नयेपन की झलक
डायरेक्‍टर विभु पुरी से इस फिल्‍म को बनाने में कुछ भूल हो गईं, हालांकि यह कमियां काफी छोटी-छोटी हैं लेकिन इसे नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता. फिल्‍म की कहानी तो 19वीं शताब्‍दी की है, लेकिन इसमें दिखाये गये कैरेक्‍टर 2014 के जैसे लगते हैं. कास्‍ट्यूम हो या फिर एसेसरीज, यह चीजें ऐसी हैं जिन पर डायरेक्‍टर ने ज्‍यादा ध्‍यान नहीं दिया और यह कैरेक्‍टर के साथ बेमेल सा नजर आने लगा. इसके अलावा यह फिल्‍म हवाईजादा से हटकर पैट्रिओटिक मोड में चली जाती है. अब ऐसे में इसे देखकर दर्शकों के मन में कंफ्यूजन कुछ ज्‍यादा ही हो जाता है. सभी दर्शक इसमें शिवपुरी के जीवन से जुड़े रहस्‍यों को जानने गये थे, लेकिन फिल्‍म के अंत में वंदेमातरम जैसी देशभक्ति देखकर उनको अपना माइंडसेट करने में काफी दिक्‍कत होने लगी. फिलहाल अच्‍छे विषय को लेकर हड़बड़ी में फिल्‍म बनाने का नतीजा है, यह हवाईजादा.
डॉयलॉग और गानों का गड़बड़झाला
जब कोई पीरियड फिल्‍म बनाई जाती है, तो उसमें गानों के सेलेक्‍शन को लेकर सावधानी रखना जरूरी हो जाता है. हवाईजादा में आपको बेमतलब के गानों की भरमार मिलेगी. जो गाने सिचुएशन के हिसाब से रखे जाते हैं, तो उनकी खूबसूरती अलग होती है लेकिन अगर यही बेवजह बीच में डाले जायें, तो यह कहानी को अलग ट्रैक पर ले जाते हैं. फिल्‍म हवाईजादा में भी आपको फालतू गानों की लंबी लिस्‍ट नजर आयेगी. वहीं दूसरी ओर मिथुन चक्रवर्ती जैसे एक्‍टर के ऊपर शास्‍त्री को रोल फिट नहीं बैठता. खासतौर पर उनकी लैंग्‍वेज कैरेक्‍टर से मेल नहीं खाती. इसके अलावा पल्‍लवी शारदा की ड्रेस भी फिल्‍म के मिजाज से अलग नजर आती है. हालांकि आयुष्‍मान खुराना की एक्टिंग की बात करें, तो उन्‍होंने भी निराश किया.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari