मनचाहा वर पाने के लिए कुवांरी लड़किया और अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए सुहागिने हरतालिका तीज पर व्रत रखती हैं। हिंदी कलेंडर के हिसाब से ये व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतिया को रखा जाता है। पौराणिक कथाओं मे ऐसा वर्णन है कि इस दिन गौरी-शंकर के साथ प्रथम पूज्‍य भगवान गणेश का पूजन करना परम फलदायक होता है। सुहागनों के लिए यह वृत फलदायी माना जाता है। सुहागन महिलाएं अपने सुखी दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखकर शिव-पार्वती का पूजन करती है। अविवाहित कन्याएं योग्य वर को पाने के लिए यह व्रत रखती हैं।

इस व्रत को करने से होती है सभी मनोकामनाएं पूर्ण
हरतालिका तीज तीज गणेश चतुर्थी के ठीक एक दिन पहले मनाई जाती है। पुराणों मे कहा गया है कि भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए राजा हिमावन और मैनावती की पुत्री माता पार्वती इस व्रत का किया था। पुराणो मे इस व्रत को बहुत मान्यता प्रदान की गई है। मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई वर्षो तक बिना अन्न जल ग्रहण किए हुए कठिन ताप किया था। भगवान शिव प्रसन्न होकर उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था। तीज के दिन सुहागने व्रत रखकर माता गौरी का पूजन करती हैं। माँ पार्वती और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आज के दिन इस मंत्र का जाप किया जाता है।
गण गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।।



इस मुहूर्त मे करेंगीं पूजन तो मिलेगा मनचाहा फल
तीज का पर्व काफी सुखद संयोग लेकर आया है। इस बार तृतिया तिथि 4 सितंबर रविवार को सुबह 5 बजे से शुरु होगी। व्रत रखने वाली महिलाएं और लड़कियां इससे पहले ही सरगी कर लें। पूजन करने का सही मुहूर्त शाम 6 बजकर 04 मिनट से रात 8 बजकर 34 मिनट तक है। इस मुहूर्त के दौरान की गई पूजा फलदायी मानी जाएगी। इस व्रत को करना जितना कठिन है उतना ही कठिन है इसके पूजन को विधि विधान के साथ करना। इस व्रत को बिना अन्न जल ग्रहण किये करना होता है। इस व्रत को करनेवाली महिला का सौभाग्य अखंड बना रहता है। इस दिन व्रत रखने से माँ गौरी प्रसन्न होकर तत्काल अपने भक्त को मनचाहा वर प्रदान करतीं हैं। उसे सातों जन्मों तक पति का साथ मिलता है।

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Posted By: Prabha Punj Mishra