गुरुग्राम में बंदरों से परेशान अधिकारी अब उन्हें खिलाएंगे केला और सेब
15 लोगों की बनाई गई टीम
नगर निगम ने इन बंदरों को पकड़ने के इस स्पेशल ऑपरेश्ान के लिए कुल 15 लोगों की एक टीम बनाई है। ये टीम केले और सेब खिलाकर यहां सड़कों और मोहल्लों में भटकते बंदरों को आकर्षित करेंगे। ऐसा करते-करते इन्हें इन बंदरों को लोके के बने एक पिंजड़े में बंद करना होगा। इस तरह से एक-एक कर इन बंदरों को पकड़कर अरावली के जंगल में छोड़ दिया जाएगा।
लगातार बढ़ते जा रहे हैं ऐसे मामले
बता दें कि अब कई मिलेनियम सिटी के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं ये बंदर। स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार 2010 के बाद से बंदरों और कुत्तों के काटे जाने के मामलों में 1188 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वैसे विभाग के पास सिर्फ बंदरों के काटे जाने के मामले अलग से उपलब्ध नहीं हैं। 2010 में बंदरों और कुत्तों के काटने के कुल 698 मामले सामने आए थे। 2015 में ये मामले बढ़कर 7809 हो गए।
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ऐसा कहते हैं अधिकारी
MCG कमिश्नर टी एल सत्या प्रकाश बताते हैं कि समय-समय पर अलग-अलग इलाकों से बराबर उन्हें बंदरों के आतंक की शिकायतें मिलती रहती हैं। इस तरह के मामलों को बराबर बढ़ता देख अब विभाग ने ठोस कदम उठाने की ठान ली है। इस क्रम में अब विभाग की ओर से एक टीम गठित की गई है। उन्होंने बताया कि उन्होंने वाइल्ड लाइफ केयर फेडरेशन (WLCF) के बंदर पकड़ने के बारे में सुना है। WLCF टीम को लीड करने वाले आर्यन बताते हैं कि उनको हर रोज करीब 50 शिकायतें तो मिलती ही थीं।
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ऐसा किया जाता है बंदरों को पकड़ने के बाद
उन्होंने बताया कि पकड़े गए बंदरों की पहले पूरी मेडिकल जांच कराई जाती है। उसके बाद उनको अरावली के जंगलों में छोड़ा जाता है। उन्होंने ये भी बताया कि बुधवार को उनकी टीम ने बसई एरिया में करीब 13 बंदर पकड़े। इन बंदरों को पकड़ना वैसे कोई आसान काम नहीं है।
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आर्यन बताते हैं
आर्यन ने बताया कि MCG ने उनको बंदरों को पकड़ने का काम सौंपा है। अब उनकी प्राथमिकता होगी सबसे पहले गांव और HUDA सेक्टर्स में पहुंचकर लोगों की मदद करना। रोजाना करीब 30 से 35 बंदर पकड़ने का लक्ष्य उन्होंने अभी संभाला है। फिलहाल देखना ये है कि वो उनको दी हुई जिम्मेदारी पर कितना खरे उतरते हैं।