गुरू पूर्णिमा 2019: 16 जुलाई को है यह पर्व, इस दिन बन रहा यह विशेष योग
गुरु समान श्री कृष्ण यह भली-भांति जानते थे कि अहंकार किसी भी व्यक्ति को पतन के मार्ग पर ले जा सकता है। यदि आप संपूर्ण समर्पण करते हैं तो सद्गुरु आपकी अंतरात्मा में बस जाते हैं।आपका मार्गदर्शन करते गुरु और शिष्य का रिश्ता समर्पण के आधार पर टिका होता है। जीवन समर को पार करने के लिए सद्गुरु या सारथी का विशेष महत्व होता है। जीवन में खासकर के आध्यात्मिक सफलता की दिशा में पढ़ना हो तो गुरु का मार्गदर्शन अनिवार्य रूप से लेना पड़ता है। आत्मा-परमात्मा संबंधी ज्ञान हमें गुरु के सहारे प्राप्त होता है। इसके प्रकार के कोई उपदेशक तो बन सकता है पर उसकी गहराई तक उतर कर हीरे-मोती निकालने का ज्ञान गुरु ही देते हैं। वे साधारण को असाधारण और कुछ को महान बना देते हैं। गुरु पूर्णिमा गुरु शिष्य के बीच अनुशासन और अनुबंध का पर्व है। इस वर्ष आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा संपूर्ण विश्व भर में मनाई जाएगी, जो कि 16 जुलाई 2019 को है।बन रहा खास योग 'धनलक्ष्मी योग'
आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हिंदू धर्मावलंबियों में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। इस दिन गुरु की पूजा का महत्व शास्त्रों में बताया गया है। 16 जुलाई 2019 को मंगलवार के दिन गुरु पूर्णिमा होने से धन लक्ष्मी योग बन रहा है। इस दिन गुरु को पूजने से पहले अपनी मां की भी पूजा करनी चाहिए। प्रथम गुरु आपकी मां है तत्पश्चात अपने गुरु की आराधना करें तो आपको और भी अधिक फल प्राप्त होगा।गुरु पूर्णिमा 2019 : गुरु के साथ करें मां की भी पूजा, जानें इसका महत्वगुरु पूर्णिमा का महत्व सभी 10 वर्गों से बड़ाशास्त्रों में कहा गया है कि मां की पूजा कर लेने मात्र से ही गुरु की पूजा का फल प्राप्त हो जाता है। भारतीय ज्योतिष के सिद्धांत में मां का कारक चंद्रमा है, जब चंद्रमा की राशि में सूर्य प्रवेश करने वाला हो तब सूर्य का कहना ही क्या...। ऐसी पूर्णिमा का अतुलनीय सहयोग मिलता है, जो कि इस वर्ष है। उस समय शुभ ही शुभ होता है। सद्गुरु अपने सभी विद्या से दया युक्तियां आदि अपने शिष्य को देखकर उसका आभ्यंतर परिमार्जन कर उसे सत्गुर ही बना देते हैं। वहीं गुरु तक पहुंचने का मार्ग मां ही बताती है। इसलिए मां को पूजने के बाद ही गुरु की पूजा करनी चाहिए। 10 वर्ग की सभी पूर्णिमा में से अधिक गुरु पूर्णिमा का महत्व शास्त्रों में बताया गया है।
पंडित दीपक पांडेय