यहां फेरों के समय दूल्हा दुल्हन के साथ करता है ये काम
श्रीमाली समाज की है परंपराकृष्ण-रुक्मणि के विवाह से जुड़ी द्वापर युग की यह परंपरा आज भी राजस्थान के बीकानेर में श्रीमाली समाज का हिस्सा है। शादी के दिन चबरक के कार्यक्रम में कन्या पक्ष की सुहागिनें दूल्हे को घी-शक्कर युक्त चावल लाकर ग्रास की मनुहार करती है। इसके बाद दूल्हा और दुल्हन एक-दूसरे को इस ग्रास की मनुहार करने के पश्चात दूल्हा अपनी दुल्हनियां को गोद में उठाकर फेरे लेता हैं। श्रीमाली समाज में रची-बसी इस परंपरा को देखने बड़ी संख्या में अन्य समाज के लोग भी पहुंचते हैं। यह परंपरा यहां बहुत मशहूर है।ऐसा करने से होगी जल्दी शादी
पौराणिक कथाओं की मानें तो कृष्ण-रुक्मणि के विवाह के समय कृष्ण की मौसी के लड़के शिशुपाल भी रुक्मणि से विवाह करने पहुंचे थे। उस समय कृष्ण-रुक्मणि विवाह का चौथा फेरा चल रहा था। विवाह के मध्य में श्रीकृष्ण को शिशुपाल से युद्ध करना पड़ा और रात निकल गई। युद्ध में विजय के पश्चात श्रीकृष्ण ने रुक्मणि को गोद में लेकर चार फेरे सुबह लिए। इस प्रकार कृष्ण-रुक्मणि के विवाह पर कुल आठ फेरे हुए। ऐसी मान्यता है कि कुंवारे लड़के व लड़कियों की ओर से इन चावल को खाने से जल्दी शादी हो जाती है।
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