दुनियाभर में नदियां जीवनदायिनी और सभ्यता की जनक मानी जाती हैं। जाहिर है फ्रांस की सीन और रॉन नदियां भी ऐसी ही होंगी। मगर सोमवार को फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने देखा कि जीवनदायिनी को भारत में किस तरह देवी का दर्जा देते हैं। काशी के गले में हार की तरह लिपटी गंगा के घाटों पर इतिहास और विरासत के मोती पिरोए गए थे। गंगा दर्शन के दौरान इनका जादू कुछ ऐसा बिखरा कि बजड़े पर लगी कुर्सियां छोड़ पूरे टाइम मोदी-मैक्रों खड़े ही रह गए।

* शंखनाद से हुआ अस्सी घाट पर स्वागत, बनारसियों ने लगाए हर-हर महादेव के नारे
*
तुलसी-कबीर के पद, ब्रज की होली और मयूर नृत्य देखकर गदगद हुए मैक्रों
*
घाट पर झंडियां लिए स्कूली बच्चों का हाथ हिलाकर करते रहे अभिनंदन
प्रस्तुतियां देख हुए अभिभूत

फ्रांसीसी मेहमान की मेजबानी के लिए प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र को हफ्तों से संवारा जा रहा था। गंगा दर्शन का कार्यक्रम सबसे खास बनाया जाना था, बना भी। अस्सी घाट पर मोदी-मैक्रों के उतरते ही बटुकों ने स्वास्तिवाचन और शंखनाद से उनका स्वागत किया। बजड़े पर सवार होने के साथ ही जनता का शोर और प्रस्तुतियों का जोर कुछ ऐसा रहा कि मैक्रों अभिभूत हुए बिना नहीं रह सके।

माला में पिरोई सांस्कृतिक विरासत
तुलसी घाट से लेकर दशाश्वमेध घाट तक तुलसी, कबीर और बनारसी कला की विरासतों को संजोया गया था। हर जगह नंबर के बोर्ड लगाए गए थे। कार्यक्रमों में राजगद्दी की रामलीला, अखाड़ों की कुश्ती, ब्रज की होली, मयूर नृत्य, कबीर के पद, कृष्ण-राधा और गोपियों का रास, आदमकद मुखौटे, बुद्ध और जैन धर्मों की प्रतिकृतियां, बनारस की सधुक्कड़ी परंपरा आदि दिखाया गया। तुलसी घाट पर मृदंग बजा रहे जापान के तेइश्या तनाइको ने भी ध्यान खींचा।

MP में सैंडिल की वजह से कुछ ऐसे सीढ़ियों से फिसलीं हिलेरी क्लिंटन, जानें क्यों आईं वो भारत

 

 

Posted By: Shweta Mishra