29 फरवरी को संसद में वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट पेश किया था जिसमें ईपीएफ पर मिलने वाले ब्‍याज को कर के दायरे में लाने की बात कही थी। ऐसे में बजट के बाद से टैक्‍स को लेकर विरोध हो रहा था। ऐसे में सरकार फाइनली अपने फैसले से आज पीछे हट गई।


कर के दायरे में


आज लोकसभा में ईपीएफ पर टैक्स लगाने वाली मोदी सरकार ने विपक्ष के विरोध के बाद मामले में यूटर्न ले लिया है। आज सरकार ने इसे वापस लेने का फैसला किया है। संसद में वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना था कि केन्द्र सरकार अब पीपीएफ निकासी पर कर नहीं लगाएगी। बताते चलें कि बीते दिनों आम बजट की पेशकश में कहा गया था कि बजट प्रस्तावों के तहत सिर्फ कर्मचारियों द्वारा एक अप्रैल के बाद कर्मचारी भविष्य निधि कोष में किए गए योगदान पर जो ब्याज मिलेगा वह कर के दायरे में आएगा। मूल राशि पर छूट बरकरार रहेगी। इतना ही नहीं ईपीएफ निकासी के समय उसके 60 प्रतिशत हिस्से को कर के दायरे में लाने के प्रस्ताव का भी था। एक अप्रैल 2016 के बाद भविष्य निधि में किए गए योगदान पर जो ब्याज जमा होगा उस पर कर लगाने का प्रस्ताव दिया गया है।धरना प्रदर्शन हुआ

ऐसे में इसका काफी विरोध हुआ। लोगों ने जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन भी किया था। उसके बाद सरकार का कहना था कि एक अप्रैल के बाद योजना पर जो ब्याज अर्जित होगा उसके 40 प्रतिशत पर कर नहीं लगेगा बाकि 60 प्रतिशत पर ही कर लगेगा। यदि इस 60 प्रतिशत का निवेश भी पेंशन एन्विटी योजनाओं में कर दिया गया तो इस पर कर छूट होगी। सचिव ने भी सफाई दी थी कि यह कोई राजस्व संग्रह का उपाय नहीं है।  1.5 लाख रुपए तक की मौजूदा निवेश योजना पर कर छूट बरकरार रहेगी। हालांकि सरकार के पीपीएफ और ईपीएफ वाले इस गोलमोल फैसले का विरोध बंद नहीं हुआ। जिसके बाद सरकार ने आज अपना फैसला वापस ले लिया है।

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Posted By: Shweta Mishra