आपकी आंखें पढ़कर Google बता देगा कि आपको दिल की बीमारी है या नहीं!
आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस के फायदे या नुकसान
आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस इंसानों के लिए अभिशाप है या वरदान। इसको लेकर दुनिया भर में लोग बड़ी बड़ी बहस करते रहते हैं। पर अब आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस यानि AI प्रोग्राम इंसानों की मदद के लिए कुछ न कुछ नया कर रहे हैं, जिसे जानकर वाकई लगता है कि AI ने हमारी आपकी जिंदगी वाकई काफी शानदार बन सकती है। अब तो AI टेक्नोलॉजी स्मार्टफोन पर भी अपने कमाल दिखाने लगी है। दुनिया की सबसे नई और शानदार इस टेक्नोलॉजी के द्वारा अब गूगल भी कुछ कमाल दिखाने आया है। आइए जरा हम भी देखें।गूगल के हेल्थ प्रोग्राम से जुड़े वैज्ञानिकों की एक टीम ने आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस यानि AI को लेकर एक कमाल किया है। इस टीम ने AI प्रोग्राम के एक अंतर्गत एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया है, जो मशीन लर्निंग की मदद से किसी भी इंसान के शरीर में मौजूद बीमारियों का पता लगाएगा। यही नहीं इन छिपी हुई बातों को पता लगाने के लिए किसी भारी भरकम टेस्ट या डायग्नोस्टिक मशीन की जरूरत नहीं होगी और न ही इसके लिए ब्लड सैंपल लेना पड़ेगा। जनाब इसके लिए गूगल का खास सॉफ्टवेयर स्मार्टफोन या दूसरी कैमरा डिवाइस के द्वारा लोगों की आंखें स्कैन करेगा। इसके बाद रेटीना स्कैन के डेटा को प्रोसेस करके गूगल का सॉफ्टवेयर उस व्यक्ति की उम्र, ब्लड प्रेशर के अलावा यह भी बता देगा कि वो स्मोकिंग करता है या नहीं। इन सब बातों को चेक करके गूगल का प्रोग्राम बता देगा कि उस व्यक्ति को दिल की बीमारी या हार्ट अटैक का कितना खतरा है और कितने सालों बाद उसे ऐसी कोई बीमारी हो सकती है।
आ गया Gmail का लाइट वर्जन Gmail Go, कम रैम और स्लो इंटरनेट पर अब ईमेल चलेगी झूमके 3 लाख मरीजों के डेटा के आधार पर गूगल बता देगा बीमारी की सटीक जानकारीअगर आपको लगता है कि महंगे महंगे डायग्नोस्टिक टेस्ट से जिन बीमारियों के बारे में पहले से पता नहीं चलता, वो बीमारियां भला गूगल कैसे बता देगा। पर जनाब यही तो खूबी है गूगल के आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस की जो दुनिया के किसी भी दूसरे डायग्नोस्टिक टेस्ट के बराबर या उससे आगे जाकर भविष्य की बीमारियों के बारे में सटीक जानकारी दे देगा। गूगल के आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस ब्लॉग पर कंपनी के AI एक्सपर्ट ली पेंग ने बताया है कि उन्होंने करीब 2 लाख 90 हजार मरीजों से जुड़े डेटा को अपने सॉफ्टवेयर प्रोग्राम में डाला है। इस डेटा को एनालाइज करके और मशीन लर्निंग के नए मॉडल को इवॉल्व करके हम किसी भी व्यक्ति के शरीर में फ्यूचर में होने वाली बीमारियों के बारे में ठीक ठीक जान सकते हैं, वो भी बहुत कम खर्चे और आसानी के साथ।
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