जानें धनतेरस 2018 का शुभ मुहूर्त
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बाजार सज गए हैं। छोटे-मोटे से लेकर बड़े-बड़े दुकान लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति के साथ-साथ सोने-चांदी के आभूषणों, सिक्के, दैनिक जीवन में काम आने वाली मशीनों तथा अलग-अलग तरह के महंगे उपहारों से सज गए हैं। ये सभी तैयारियां धरतेरस की हैं। जहां लक्ष्मी धन की देवी मानी जाती हैं वहीं इंसान के लिए सबसे बड़ा धन उसकी निरोगी काया है। भौतिक धन से तो हम अपने जीवन की सारी जरूरतें पूरी करते हैं, लेकिन स्वस्थ तन से ही हम कई अच्छे कार्य कर पाते हैं। स्वस्थ तन में ही सुंदर मन विराजता है। इसलिए श्री लक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ धनवंतरी देवता की भी पूजा का विधान है। धनवंतरी को चिकित्सा का देवता माना जाता है।
कथा है कि समुद्र मंथन के बाद श्री हरि विष्णु के अंश धनवंतरी हाथों में अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे। इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा आज भी कायम है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। चांदी को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है, जो हमें शीतलता प्रदान करता है। यदि हम चंद्रमा को एकाग्रचित्त होकर देखते हैं, तो मन शांत और क्लेश रहित हो जाता है। शांत मन में ही संतोष बसता है। संतोष सबसे बड़ा धन माना गया है। कहा भी गया है संतोषं परम सुखं। यदि हमारे पास संतोष का धन है, तो भौतिक संसाधनों की चमक-दमक हमें प्रभावित नहीं कर पाएगी। चांदी की खरीदारी संभव न हो, तो घर के लिए कोई जरूरी बर्तन भी खरीदा जा सकता है।