नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उनकी सरकार पर असहमति रखने वाले अधिकारियों को दुर्भावनापू्र्ण तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगता रहता था.


हाल ही में गुजरात सरकार ने एक चौंकाने वाला फ़ैसला लेते हुए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के निलंबित अधिकारी जीएल सिंघल को बहाल करने का आदेश दिया है.मंगलवार को लिए गए इस फ़ैसले के बाद गुजरात सरकार और इशरत जहाँ मुठभेड़ मामले में कथित तौर पर शामिल पुलिस अधिकारियों को लेकर एक बहस छिड़ गई है.सिंघल पर मुठभेड़ में शामिल होने के आरोप में मुक़दमा चल रहा है. पिछले साल नवंबर में उठे 'स्नूपगेट'(एक महिला की कथित जासूसी) मामले के केंद्र में भी सिंघल ही थे.इस मामले को लेकर मोदी सरकार पर काफ़ी तीखे हमले हुए थे. फिलहाल, सिंघल को गांधीनगर में राज्य रिज़र्व पुलिस में ग्रुप कमांडेंट का पद दिया गया है.लेकिन गुजरात सरकार ने आख़िरकार उन्हें बहाल क्यों किया?क्या यह क़ानूनी मजबूरी थी?
प्रशांत दयाल कहते हैं कि मोदी और उनकी टीम सिंघल के अगले क़दम को लेकर चिंतित होंगी. वो कहते हैं, "अगर दूसरे अफ़सरों को उनसे पहले बहाल किया जाता तो बहुत संभावना थी कि वो सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल या कोर्ट में इस मामले को लेकर जाते, जिससे एक बार फिर गुजरात सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता."


गुजरात सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार संभव है कि राज्य सरकार सतीश वर्मा और राहुल शर्मा जैसे अधिकारियों के प्रति दोस्ताना रवैया अपनाए. माना जाता है कि इन दोनों अफ़सरों को सरकार की नीतियों से नाइत्तेफाकी रखने के कारण हाशिए पर डाल दिया गया था.क्या पहल ख़ुद सिंघल ने की?सिंघल को बहाल करने के गुजरात सरकार के फ़ैसले की मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने आलोचना की है. हालांकि कई लोगों का कहना है कि ख़ुद सिंघल ने राज्य सरकार के साथ चल रहे अपने शीत युद्ध को ख़त्म करने की पहल की.सिंघल के क़रीबी लोगों का कहना है कि साल 2012 में जब उनके बेटे ने आत्महत्या कर ली उसके बाद वो टूट गए. उस घटना के बाद से वो व्हिसलब्लोवर के रूप में सामने आने लगे.हालांकि सिंघल ने 'स्नूपगेट' मामले की जाँच कर रहे दो सदस्यों वाले जांच पैनल से सामने पेशी की तारीख बढ़वा ली थी.सिंघल और शाह की निजी बातचीत के टेप सामने आने के बाद गुजरात सरकार विवादों में घिर गई थी. इस बातचीत में शाह सिंघल से एक महिला वास्तुविद की कथित तौर पर जासूसी करने के लिए कह रहे थे.

इस टेप को जारी करने वाली वेबसाइटों गुलाल एंड कोबरापोस्ट के अनुसार उस समय अमित शाह गुजरात के गृह विभाग के राज्यमंत्री थे और सिंघल अहमदाबाद की अपराध शाखा में काम करते थे.वेबसाइट पर जारी किए टेप में अमित शाह कहते हैं कि 'साहेब' उस लड़की के बारे में पल-पल की जानकारी चाहते हैं. हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि टेप में 'साहेब' किसे कहा गया है. माना जाता है कि सिंघल ने सीबीआई को इन टेप का सुराग दिया.गुजरात के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर बताया, "जब इस मामले की जाँच कर रहे पैनल ने सिंघल को पूछताछ के लिए बुलाया तो उसने 16 मई के बाद की कोई तारीख मांगी. ऐसा लगता है कि वो शाह और उनके 'साहेब' को चुनाव परिणाम आने से पहले किसी तरह के विवाद में पड़ने से बचाना चाहते थे. शायद यह वह पहला क़दम रहा जिसका पुरस्कार सिंघल को बहाली के रूप में मिला है."

Posted By: Satyendra Kumar Singh