शिवसेना द्वारा गुलाम अली का कार्यक्रम रद्द करने पर लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा भारत को हिंदू सऊदी अरब
आहत हूं खफा नहीं: गुलाम अली
शिवसेना के विरोध के बाद पाकिस्तान के मशहूर गायक गुलाम अली का शो रद कर दिया गया। इस पर इस मशहूर गायक का कहना है कि वे इस बात से बेहद आहत हैं। वो जगजीत सिंह की याद में होने वाले इस कार्यक्रम में आना चाहते थे। लेकिन उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि वो इस बात से आहत तो जरूर हुए हैं पर नाराज बिलकुल नहीं हैं। उनका कहना है कि इस समय हालात सही 'सुर' में नहीं हैं इसलिए वो इस बात से दुखी होने के बावजूद नाराज नहीं हैं। जगजीत सिंह उनके लिए भाई जैसे थे और वो हिंदुस्तान और यहां के रहने वालों को पसंद करते हैं।
जेहादी और कलाकार का फर्क समझना होगा: तस्लीमा नसरीन
वहीं इस मामले पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए। विवादास्पद बंगलादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने ट्विटर पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि भारत अब हिंदू सऊदी अरब बनता जा रहा है। उन्होने ये भी लिखा कि लोगों को जेहादियों और गायक में फर्क समझना चाहिए।
Ghulam Ali is not a jehadi, he is a singer. Please try to differentiate between Jehadis and singers. https://t.co/K1rRz0piEc
— taslima nasreen (@taslimanasreen)
शिवसेना का कहना है नहीं होगा कार्यक्रम
भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने गुलाम अली के कार्यक्रम को रद्द करवा दिया है। हालाकि केंद्र सरकार ने उनके विरोध को अनुचित बताया है। गायक जगजीत सिंह की चौथी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए गुलाम अली का कार्यक्रम 9 अक्टूबर यहां और 10 अक्टूबर को पुणे में प्रस्तावित था। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और आयोजकों की बुधवार शाम को हुई बैठक में फैसला किया गया कि गुलाम अली का कार्यक्रम नहीं होगा। शिवसेना की फिल्म इकाई ‘चित्रपट सेना’ के महासचिव अक्षय बर्दापुरकर ने बताया कि तय तिथि पर कार्यक्रम तो होगा लेकिन उसमें गुलाम अली भाग नहीं लेंगे।
आयोजकों को दी धमकी
इससे पहले ‘चित्रपट सेना’ ने आयोजकों को धमकी दी थी कि यदि पाकिस्तानी कलाकार के कार्यक्रम को रद्द नहीं किया तो उसे शिवसेना और देशभक्त लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ेगा। चित्रपट सेना के विभाग प्रमुख मंगेश सातमकर ने कहा कि शिवसेना का पुराना रुख रहा है कि जब तक पड़ोसी देश आतंकवादी गतिविधियों को नहीं रोकता है तब तक उसके साथ सांस्कृतिक, खेल और राजनीतिक संबंध कायम नहीं होने चाहिए। हमारा विरोध केवल गुलाम अली को लेकर नहीं है बल्कि सभी पाकिस्तानी कलाकारों का है जिन्हें यहां से आर्थिक फायदा होता है। जबकि सीमा पर शहीद होने वाले हमारे जवानों की विधवाएं शोक मनाती हैं।
पहले भी ऐसी घटनायें हो चुकी हैं
इस बीच केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शिवसेना के विरोध से असहमति जताई। उन्होंने कहा कि गुलाम अली शांति के दूत हैं। शांति के ऐसे दूतों पर सीमा की बंदिशें नहीं होनी चाहिए। इससे पहले भी शिवसेना ऐसे कदम उठाती रही है। हाल ही में शिवसेना के विरोध के बाद आयोजकों ने 25 अप्रैल को पुणे में होने वाले पाकिस्तानी गायक आतिफ असलम के कार्यक्रम को भी रद्द कर दिया था।