रूस के कोविड-19 वैक्सीन को लेकर दुनिया भर से चिंता के स्वर उठने शुरू हो गए हैं। जर्मनी ने कहा कि वैक्सीन के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। इससे टीकारण खतरनाक हो सकता है। वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि सिर्फ 10 प्रतिशत क्लीनिकल ट्राॅयल ही सफल हो पाते हैं।


बर्लिन/मास्को (राॅयटर्स)। जर्मन स्वास्थ्य मंत्री जेन्स स्पैन ने बुधवार को कहा कि रूस में बनी कोविड-19 वैक्सीन की पर्याप्त जांच नहीं हुई है। उनका कहना था कि लोगों को सुरक्षित उत्पाद देने का मकसद होना चाहिए न कि दुनिया में सबसे पहले टीकाकरण का उद्देश्य हो। उन्होंने कहा कि करोड़ों लोगों का टीकाकरण में जल्दीबाजी करना खतरनाक हो सकता है। यदि यह गलत हुआ तो टीकाकरण की स्वीकार्यता लोगों के बीच खत्म हो सकती है।करोड़ों का टीकाकरण शुरू करना हो सकता है खतरनाक
स्पैन ने रेडियो ब्राॅडकास्टर देवतशालैंडफंक से कहा कि रूस में जो भी चल रहा है उससे वे बहुत आशंकित हैं। उनका कहना था कि उन्हें बहुत खुशी होती यदि हमारे पास शुरू करने के लिए एक अच्छी वैक्सीन होती जिसके बारे में हमें सबकुछ पता होता। यही इसकी बुनियादी जरूरत है लेकिन रूस ने हमें बहुत कुछ नहीं बताया है। इसकी पूरी तरह से टेस्टिंग नहीं हुई है। स्पैन ने कहा कि महामारी के दौर में बहुत कठिन समय बीत रहा है। इस समय शोध और परीक्षण करना बहुत मुश्किल है। ऐसे में नतीजों को सार्वजनिक करने से वैक्सीन के प्रति लोगों में भरोसा कायम होता।वैक्सीन को लेकर सभी आरोपों को रूस ने बताया निराधार


रूसी स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने बुधवार को कहा कि रूस के कोविड-19 वैक्सीन को लेकर जो आरोप लगाए जा रहे हैं कि यह असुरक्षित है वह पूरी तरह से निराधार है और प्रतिद्वंद्विता के चक्कर में ऐसा कहा जा रहा है। इंटरफैक्स न्यूज एजेंसी ने यह रिपोर्ट जारी की है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को घोषणा की थी कि रूस की नियामक कोविड-19 वैक्सीन को मंजूरी देने जा रहा है।वैज्ञानिकों बोले सिर्फ 10 प्रतिशत क्लीनिकल ट्रायल ही सफलवैक्सीन पर दो महीने से भी कम समय का ह्यूमन ट्रायल किया गया है। कुछ एक्सपर्ट्स ने इस वैक्सीन पर रूस के निर्णय को लेकर संदेह जताया है। उनका कहना है कि सिर्फ 10 प्रतिशत क्लीनिकल ट्रायल ही सफल हो पाते हैं। कुछ वैज्ञानिकों को डर है कि रूस लोगों की सुरक्षा को ताक पर रखकर देश की शान को महत्व दे रहा है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh