इटली में फासावादीक तानाशाह बेनितो मुसोलिनी के दौर में समलैंगिकों को ‘गिरा हुआ’ मान लिया गया था इसलिए उन्हें मुल्क से 600 किलोमीटर दूर एक द्वीप पर भेज क्लिक करें कैद कर दिया जाता था.


ये बात 75 साल पुरानी है और उस समय की सोच के मुताबिक़ मुल्क में उनके होने से कुछ लोगों की मर्दानगी आहत होती थी. 1930 के दशक में एड्रियाट्रिक सागर स्थित त्रेमिती द्वीप समूह का उपयोग फासीवादी इटली में समलैंगिकों के दमन के लिए किया जाता था. गुजरते वक्त के साथ साथ अब वही द्वीप समलैंगिकों के लिए एक ऐतिहासिक प्रतीक स्थल बन गया है. समलैंगिकों की मौजूदगी बेनितो मुसोलिनी की ओर से प्रचारित इटली की मर्दाना छवि को धूमिल करती था. गिरफ्तारी बर्गैमो विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर लॉरेंजो बेनादूसी कहते हैं, "क्लिक करें फासीवाद एक क्लिक करें मर्दाना राज है. फासीवादी इटली क्लिक करें ताकतवर मर्दों का देश है. फासीवादी इटली में तो समलैंगिक हो ही नहीं सकते थे."


इसलिए समलैंगिको को ज्यादा से ज्यादा छिपाने की कोशिश की जाती थी. समलैंगिकों के संग भेदभाव करने वाला कोई कानून नहीं बनाया गया लेकिन ऐसा माहौल बना दिया गया था कि समलैंगिकता के खुले प्रदर्शन को पूरी ताकत से दबाया जा सके.

इन्हीं प्रयासों के तहत 1938 में इटली के कटानिया शहर में करीब 45 लोगों को समलैंगिकता के संदेह में गिरफ्तार कर लिया गया. इन लोगों को उनके घर से 600 किलोमीटर दूर त्रेमितिस द्वीप समूह के सैन डोमिनो द्वीप पर बंदी बना कर भेज दिया गया था.शांति और सुकूनइटली के ज्यादातर लोगों ने इस मामले को लगभग भुला दिया. यह माना गया कि अब ऐसा कोई बचा नहीं होगा जिसने वो सजा खुद भुगती होगी. एड्रियाट्रिक सागर में स्थित इस खूबसूरत द्वीप पर आमतौर पर हर साल गर्मियों में सैलानियों की भीड़ लगती है.लेकिन अभी हाल ही में इस द्वीप पर कुछ खास लोग आए. उनके लिए दूर दराज के इस द्वीप पर आने का सबब सिर्फ शांति और सुकून भर नहीं था. ये सारे लोग गे, लेस्बियन और ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता थे. वो 70 साल पहले के घटी 'एक शर्मनाक घटना के स्मृति' में एक छोटा सा कार्यक्रम करने आए थे. बराबरी का अधिकार साल 2008 में प्रकाशित एक किताब में सैन डोमिनी द्वीप पर निर्वासित समलैंगिकों के जीवन का जिक्र था. हालांकि ऐसा भी नहीं था कि सभी समलैंगिक इस द्वीप पर भेजे गए थे. पकड़े गए लोगों में से कुछ को राजनीतिक बंदियों के साथ अन्य छोटे-छोटे टापुओं पर भी भेजा गया था.

लेकिन सैन डोमिनो एक मात्र ऐसा द्वीप था जहाँ निर्वासित किए गए सभी लोग समलैंगिक ही थे. यह भी कम विडम्बनापूर्ण नहीं था कि उस वक्त के इटली में समलैंगिकों को जो थोड़ी बहुत आजादी मयस्सर थी, वह इसी टापू पर थी.समलैंगिक लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले लोगों का जो हुजूम यहाँ इकठ्ठा हुआ है वह इस द्वीप पर निर्वासन का जीवन जीने वाले लोगों को याद करते हैं. लेकिन इटली के समलैंगिक समुदाय के लोगों के लिए बराबरी के अधिकार की लड़ाई आज भी जारी है.बराबरी का अधिकार साल 2008 में प्रकाशित एक किताब में सैन डोमिनी द्वीप पर निर्वासित समलैंगिकों के जीवन का जिक्र था. हालांकि ऐसा भी नहीं था कि सभी समलैंगिक इस द्वीप पर भेजे गए थे. पकड़े गए लोगों में से कुछ को राजनीतिक बंदियों के साथ अन्य छोटे-छोटे टापुओं पर भी भेजा गया था.लेकिन सैन डोमिनो एक मात्र ऐसा द्वीप था जहाँ निर्वासित किए गए सभी लोग समलैंगिक ही थे. यह भी कम विडम्बनापूर्ण नहीं था कि उस वक्त के इटली में समलैंगिकों को जो थोड़ी बहुत आजादी मयस्सर थी, वह इसी टापू पर थी.
समलैंगिक लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले लोगों का जो हुजूम यहाँ इकठ्ठा हुआ है वह इस द्वीप पर निर्वासन का जीवन जीने वाले लोगों को याद करते हैं. लेकिन इटली के समलैंगिक समुदाय के लोगों के लिए बराबरी के अधिकार की लड़ाई आज भी जारी है.

Posted By: Garima Shukla