गणेश चतुर्थी व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करके 'मम सर्वकर्मसिद्धये सिद्धिविनायकपूजनमहं करिष्ये'से संकल्प करें। इसके बाद मूर्ति की स्थापना करें।

गणेश चतुर्थी इस वर्ष गुरुवार यानी 13 सितम्बर को है। यह भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को पड़ता है। इस दिन गणेश जी का मध्याह्न मे जन्म हुआ था, अतः इसमें मध्याह्न व्यापिनी तिथि ले जाती है।

गणेश चतुर्थी व्रत की विधि


 

व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करके 'मम सर्वकर्मसिद्धये सिद्धिविनायकपूजनमहं करिष्ये'से संकल्प करें। इसके बाद स्वस्तिक' मण्डल पर प्रत्यक्ष अथवा सुवर्णादि निर्मित मूर्ति की स्थापना करें।

भगवान गणेश की पूजा में २१ दूर्वा दल का प्रयोग किया जाता है। उनके दस नामों से दो-दो दूर्वा दल चढ़ाया जाता है और अंतिम दूर्वा को वरदगणेश को अर्पित किया जाता है। ये 10 नाम निम्नलिखित हैं- गणाधिप, उमापुत्र, अघनाशक, विनायक, ईशपुत्र, सर्वसिद्धिप्रद, एकदन्त, इभवक्त्र, मूषकवाहन, कुमारगुरु।

गणेश जी को दूर्वा अर्पित करने के बाद धूप, दीपादि से शेष उपचार सम्पन्न करें। अन्त में २१ मोदक अर्पण करके इस मंत्र से प्रार्थना करें।

'विघ्नानि नाशमायान्तु सर्वाणि सुरनायक।

 कार्यं मे सिद्धिमायातु पूजिते त्वयि धातरि।।'

इसके बाद प्रसाद में मोदकादि वितरण करके एक बार भोजन करें।

- ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र, शोध छात्र, ज्योतिष विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

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Posted By: Kartikeya Tiwari