पाकिस्तान में पानी की तोप बहुत समझदार है
बच्चे को आतिशबाज़ी दिखाता हूँ, अपने छोटे से कुत्ते को पुचकारता हूँ, उसे आतिशबाज़ी से मज़ा लेने की कोई तमीज़ नहीं, वो उसे धमाका ही समझता है और खौफ़ से काँपने लगता है।
जिन इस्लाम के पाबंद लोगों को कुत्तों से मोहब्बत पर एतराज़ है, वो याद रखें कि बड़े धार्मिक नेता ख़ादिम रिज़वी ने अपने धरने के दौरान भाषण में कहा है कि मक्का की जीत के समय पैगंबर मोहम्मद ने अपनी सेना के दो साथियों को उस कुतिया की हिफ़ाज़त पर लगाया था जिसने अभी-अभी बच्चे जने थे।काफ़ी अरसे तक मेरा दफ़्तर कराची प्रेस क्लब के ठीक सामने था, अक्सर हम दफ़्तर की खिड़की का परदा हटाते थे, और सड़क पर कराची की ताज़ा-तरीन ब्रेकिंग न्यूज़ देख लेते थे। खिड़की के ठीक नीचे प्रदर्शनकारियों के स्वागत के लिए कोरियाई डेएवू कंपनी की पानी की तोप खड़ी रहती थी।मैंने पूरे साल इस वाटर कैनन को कभी चलते नहीं देखा। देखने का बड़ा मन था कि ये किस तरह चलती है, ये उसी तरह की जिज्ञासा थी जो गाँव के बच्चों को गेहूँ काटने वाली हार्वेस्टर के चलने के बारे में होता है।
तोप, प्रोटेस्ट और प्रोटोकॉलकराची प्रेस क्लब के सामने विरोध प्रदर्शन करने का पूरा एक प्रोटोकॉल है जो पत्रकारों और पुलिस दोनों को पता है, जब भी कोई बड़ी मछली या मझोला धार्मिक संगठन विरोध प्रदर्शन करता है तो पानी की तोप पीछे हटा दी जाती है।
प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा के लिए पुलिस बैरिकेड लगाकर इज्ज़त से पीछे खड़ी हो जाती है। ट्रैफ़िक को दूसरी तरफ़ कर देते थे ताकि प्रदर्शनकारियों को कोई तकलीफ़ न हो।जब कभी मुत्ताहिदा क़ौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) प्रदर्शन करती थी तो पुलिस सलाम करके पीछे हट जाती थी, भाई लोग सिक्यूरिटी ख़ुद संभाल लेते थे।जब पाकिस्तान को महान बनाने के लिए अमरीका छोड़कर आने वाले मसीहा डॉक्टर गुलाम मुज़्तबा 1990 के दशक में अपने दिहाड़ी वाले बच्चों के साथ आते तो पुलिस वाले उनसे ऐसे घुलमिल जाते मानो उन्हें भी अपनी दिहाड़ी लेनी हो।जब कभी अपनी सिविल सोसाइटी वाले भाई लोग बैनर और मोमबत्तियाँ लेकर सामने आते तो पुलिस वाले हाजी साहब की रेहड़ी पर बैठकर हलीम खाते और मस्ती में अपनी ज़बान में गप्प लड़ाते।पानी की तोप चलते देखकर मेरी ये इच्छा हमेशा के लिए ग़ायब हो गई कि सरकार बल का प्रयोग करे। मारना, पकड़ना, सड़कों पर घसीटना, जेलो में बंद करना।।। सरकार ये सब कुछ कर चुकी है, फिर करेगी, जो कल अपने थे वो बर्बाद कर दिए जा चुके हैं, जो आज अपने हैं वो अब अपनी बारी का इंतज़ार करें।
जो हमारे परेशान भाई इस फ़िक्र में हैं कि देश के भविष्य का सौदा हो गया है तो वो तसल्ली रखें। अगर आपका खयाल है कि इस देश के भविष्य के फ़ैसले संसद में, या अदालतों में या टीवी स्टूडियो में, या व्हाट्सऐप ग्रुप में हो रहे हैं तो आप बहुत भोले हैं।इस देश के भविष्य के फ़ैसले प्रोपर्टी डीलरों के दफ़्तरों में हो रहे हैं, कुछ ही दिनों की बात है, ऐसी आतिशबाज़ी होगी कि हवा में घूमते कैमरों की आँखें चुंधिया जाएँगी, और बाक़ी लोगों के लिए पानी की समझदार तोप तो है ही।